बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार ने महागठबंधन पर तंज कसते हुए कहा कि विधानसभा का चुनाव अभी 14 माह दूर है लेकिन मुख्यमंत्री पद के सपनों का बाजार अभी से ही गुलजार हो गया है। मोदी ने ट्वीट कर कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह राहुल गांधी, चंद्रबाबू नायडू, मायावती और शरद पवार तक में प्रधानमंत्री बनने की कामना जग गई थी, उसी तरह इन दिनों बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के नित नए उम्मीदवार सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है और सपने देखने का हक भी सबको है इसलिए हर दल में सपने देखने की होड़ दिलचस्प हो गई है।
उपमुख्यमंत्री ने आगे ट्वीट कर कहा कि सीएम-पद के एक स्वप्नदर्शी को जब दूसरे दल के स्वप्नदर्शी अधिक उम्र का हवाला देकर नींद से जगाना चाहते हैं, तब उन्हें कडे़ प्रतिवाद का सामना करना पड़ता है और कहा जाता है कि उम्र नहीं, तजुर्बा ज्यादा मायने रखता है। तीसरे दल के स्वप्नदर्शी बीच का रास्ता निकालते हुए पहले-दूसरे को सलाह देते हैं कि यह समय निजी स्वार्थ से ऊपर उठ कर महागठबंधन की जीत पर ध्यान देने का है। उन्होंने कहा कि जब तीन बड़े झगड़ रहे होते हैं, तभी एक युवा स्वप्नदर्शी प्रकट होकर अपनी दावेदारी भी पेश कर देता है। बिहार में चुनाव अभी 14 माह दूर है, लेकिन सपनों का बाजार अभी से गुलजार है।
गौरतलब है कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री पद के लिए खुद को योग्य मानते हुए कहा है कि यदि उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री के लिए मौका मिलता है तो वह उसके लिए तैयार हैं। मांझी के इस बयान पर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि जीतन बाबू अधीर हो रहे हैं। महागठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा या बहुमत मिलने पर कौन मुख्यमंत्री बनेगा यह मीडिया में तय नहीं होता है। इसको महागठबंधन के सभी घटक दल आपस में बैठकर तय करेंगे। उधर महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने भी स्पष्ट किया है कि तेजस्वी यादव राजद के नेता हो सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए महागठबंधन का नेता घटक दल आपस में बैठकर ही तय करेंगे।