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जून तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर ५%

अर्थव्यवस्था में सुस्ती की समस्या से जूझ रही केंद्र सरकार को आर्थिक विकास दर के मोर्चे पर भी झटका लगा है । चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की आर्थिक विकास दर घटकर महज पांच फीसदी रह गई है, जो साढ़े छह वषोर्ं का निचला स्तर है । पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक विकास दर ५.८ फीसदी रही थी । केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है ।
देश में घरेलू मांग में गिरावट तथा निवेश की स्थिति अच्छी नहीं रहने से पहले से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि जून तिमाही में विकास दर का आंकड़ा पहले से ज्यादा बदतर रहेगा । वित्त वर्ष २०१९-२० की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था साल दर साल आधार पर महज पांच फीसदी की दर से आगे बढ़ी है । विकास दर का यह आंकड़ा बाजार की ५.७ फीसदी की उम्मीद से काफी कम है । साल २०१३ के बाद जीडीपी ग्रोथ का यह सबसे बुरा दौर है ।
अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर्स की हालत
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष (२०१८-१९) के १२.१ फीसदी की तुलना में महज ०.६ फीसदी की दर से आगे बढ़ा ।
एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट्री तथा फिशिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के ५.१ फीसदी की तुलना में दो फीसदी की दर से आगे बढ़ा ।
माइनिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के ०.४ फीसदी की तुलना में २.७ फीसदी की दर से आगे बढ़ा ।
इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वाटर सप्लाई तथा अन्य यूटिलिटी सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के ६.७ फीसदी की तुलना में ८.६ फीसदी की दर से आगे बढ़ा ।
कंस्ट्रक्शन सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के ९.६ फीसदी की तुलना में ५.७ फीसदी की दर से आगे बढ़ा ।
ट्रेड, होटेल्स, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन तथा सर्विसेज पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के ७.८ फीसदी की तुलना में ७.१ फीसदी की तुलना में आगे बढ़ा ।
फाइनैंशल, रियल एस्टेट तथा प्रफेशनल सर्विसेज पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के ६.५ फीसदी की तुलना में ५.९ फीसदी की दर से आगे बढ़ा ।
पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन, डिफेंस तथा अन्य सेवाएं पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के७.५ फीसदी की तुलना में ८.५ फीसदी की दर से आगे बढ़ा ।
जीडीपी ग्रोथ में गिरावट पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि के अनुकूल है, जो महज ३.६ फीसदी रही थी, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा ५.१ फीसदी था । बार-बार आने वाले आर्थिक सूचकों, जैसे वाहनों की बिक्री, रेल फ्रेट, डॉमेस्टिक एयर ट्रैफिक ऐंड इंपोट्‌र्स (नॉन ऑइल, नॉन गोल्ड, नॉन सिल्वर, नॉन प्रेसियस और सेमी प्रेसियस स्टोन्स) ने उपभोग खासकर निजी उपभोग में गिरावट का संकेत दिया था, जबकि महंगाई दर कम रही थी । आरबीआई ने लगातार चौथी बार रीपो रेट में कटौती की, लेकिन अर्थशास्त्री इसका असर तत्काल दिखने को लेकर आशंकित थे । लगातार चार बार में रिजर्व बैंक कुल एक फीसदी की कटौती कर चुका है ।

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