कृषि आय पर आयकर छूट में घोटाला हो रहा है । सीएजी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि बगैर उचित वेरिफिकेशन के कृषि आय पर ५०० करोड़ रुपये की आयकर छूट मुहैया करवाई गई । मार्च २०१८ को खत्म हुए वित्त वर्ष के लिए डायरेक्ट टैक्स पर ऑडिटर की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है । यह रिपोर्ट मुख्य रूप से कृषि और चैरिटेबल ट्रस्टों को मिली आयकर छूट पर प्रकाश डालती है । इस गड़बड़ी को देखते हुए सीएजी ने आयकर विभाग से ऐसे मामलों की दोबारा जांच करने की सिफारिश की है, जिनमें कृषि से अर्जित आय एक निश्चित सीमा से ज्यादा है ताकि टैक्स छूट का फायदा असल टैक्सपेयर्स को मिल सके । कैग(सीएजी) ने कहा कि उसने इस विषय पर इसलिए फोकस किया क्योंकि टैक्स ऐडमिनिस्ट्रेशन रिफॉर्म कमीशन ने पाया था कि कारोबारी वर्ष २०१४ में ‘गैर-किसानों’ की कृषि से अर्जित बढ़ती आय का जिक्र किया था । यह आय टैक्स से बचने के लिए दिखाई गई थी । अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने कहा कि ६,७७८ मामलों के असेसमेंट में कुल २२.५ फीसदी यानी १,५२७ को कृषि आय पर टैक्स छूट दी गई । यह छूट बगैर उचित दस्तावेजों के वेरिफिकेशन के दी गई । कृषि आय में छूट के लिए जमीन के रिकॉर्ड, आय और खर्च के ब्योरे के साथ-साथ फसल से जुड़ी जानकारी, बिल और चालान आदि का डीटेल देना होता है । इन दस्तावेजों के आधार पर टैक्स छूट का दावा किया जाता है । सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (ष्टक्चष्ठञ्ज) ने कृषि आय पर टैक्स छूट क्लेम करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं तय किए हैं । हालांकि, आईटी अधिकारियों को चाहिए कि असेसमेंट के वक्त टैक्सपेयर्स से सबूतों के तौर पर दस्तावेज की मांग करें ।