कर्नाटक में चल रहे सियासी शह और मात के खेल के बीच कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके सर्वोच्च अदालत द्वारा १७ जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी है । कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी दिनेश गुंडूराव ने अपनी याचिका में कहा की १५ बागी विधायकों के बारे में सुप्रीम कोर्ट का आदेश पार्टी के अधिकारों का उल्लंघन है । उन्होंने कहा कि पार्टी को १०वीं अनुसूची के तहत अपने विधायकों को विप जारी करने का अधिकार है । गुंडूराव ने कोर्ट से १७ जुलाई के उसके आदेश पर स्पष्टीकरण देने का अनुरोध किया है ताकि कांग्रेस पार्टी के विधायकों को विप जारी करने के अधिकार पर प्रभाव न पड़े । बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने १७ जुलाई में कहा था, हमें इस मामले में संवैधानिक बैलेंस कायम करना है । स्पीकर खुद से फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है । उन्हें समयसीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता । कर्नाटक सरकार को झटका देते हुए ष्ट।ढ्ढ ने कहा, १५ बागी विधायकों को भी सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनने के लिए बाध्य न किया जाए । ष्ट।ढ्ढ ने कहा कि इस मामले में स्पीकर की भूमिका एवं दायित्व को लेकर कई अहम सवाल उठे हैं । जिनपर बाद में निर्णय लिया जाएगा । परंतु अभी हम संवैधानिक बैलेंस कायम करने के लिए अपना अंतरिम आदेश जारी कर रहे हैं । इससे पहले कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला के डेडलाइन को खारिज करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शुक्रवार को डेढ़ बजे के पहले बहुमत साबित नहीं किया । अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे सीएम कुमारस्वामी ने कहा कि राज्यपाल की डेडलाइन को पूरा नहीं किया जा सकता है । उधर, स्पीकर रमेश कुमार ने विश्वासमत पर बहस को अभी जारी रखा है । इस बीच कांग्रेस पार्टी के निशाने पर राज्यपाल आ गए हैं । कांग्रेस ने राज्यपाल पर बीजेपी के एजेंट के रूप में काम करने का आरोप लगाया है । कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर कहा, यह शर्मनाक है कि संविधान को बरकरार रखनी की बजाय कर्नाटक के राज्यपाल बीजेपी के एक एजेंट के रूप में बदल गए हैं । वह विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं । राजभवन को बीजेपी कार्यालय के रूप में बदलना बंद करें । सदन में सीएम कुमारस्वामी ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए सरकार को टारगेट करने का आरोप लगाया है ।