साल २०१४ में सीरिया में ३९ भारतीयों के मारे जाने की घटना के बावजूद अवैध कागजों से भारतीयों को विदेश ले जाकर मजदूरी कराने के केस थमने का नाम नहीं ले रहे हैं ।
विदेशों में बैठे उद्योगपतियों और एजेंटों के चंगुल में आकर एक बार फिर तेलंगाना राज्य के कई मजदूर इराक में फंस गए हैं । तेलंगाना के शहर मंचेरियन के ५० से अधिक मजदूर एजेंटों की धोखाखड़ी और मानव तस्करी के गिरोह का शिकार होकर अब इराक के शहर एर्बिल में फंस गए हैं । बताया जा रहा है कि इन लोगों को नौकरी का लालच देकर विजिटर वीजा पर इराक ले जाया गया था और अब इन्हें यहां की कंस्ट्रक्शन साइट्स पर जरा से पैसों के लिए काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है ।
मंचेरियल के कावल गांव के रहने वाले इन लोगों के परिजन का कहना है कि कागजी कार्रवाई में उलझे यह सभी मजदूर ना सिर्फ बुरी स्थितियों में रहने को मजबूर हैं, बल्कि इन लोगों को बार-बार स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई से होकर भी गुजरना पड़ रहा है । परिजनों का छलका दर्द जानकारी के मुताबिक, एर्बिल में फंसे इन भारतीयों में से दो को पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है । हालांकि इनके परिवारों को अब तक इसकी जानकारी नहीं मिली है कि इन लोगों को किस अपराध के कारण जेल भेजा गया है ।
परिवार का कहना है कि राज्य में नौकरियां ना मिलने के कारण यह लोग इराक जाने के लिए मजबूर हुए थे, वहीं एर्बिल ले जाने वाले मजदूरों ने इन्हें ५० हजार रुपये प्रतिमाह की सैलरी दिलाने का भरोसा भी दिलाया था । हालांकि इराक पहुंचते ही इन सभी लोगों के पासपोर्ट एजेंट्स ने ले लिए और इन्हें कम पैसों में मजबूर कर काम कराना शुरू कर दिया । गांव के लोगों का आरोप है कि एर्बिल के एजेंट्स गरीब परिवार के लोगों को अपने चंगुल में फंसाते हैं और इस बार भी ऐसे ही मजदूर इस गिरोह का शिकार हुए हैं ।