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विदेश में भारतीयों के लगभग 34 लाख करोड़ रुपए का काला धन जमा होने का अनुमान

वर्ष 1998 से 2010 के बीच भारतीयों ने देश के बाहर 15 लाख करोड़ रुपए से 34 लाख करोड़ रुपए (216.48 अरब डॉलर से 490 अरब डॉलर तक) के बीच अघोषित संपत्ति जमा की। यह रिपोर्ट देश के तीन प्रतिष्ठित संस्थानों एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम द्वारा अलग-अलग की गईं स्टडीज में ये आंकड़े सामने आए हैं। लोकसभा में इन स्टडीज के हवाले से सोमवार को एक रिपोर्ट भी पेश की गई। इन स्टडीज में उन सेक्टर्स के नाम भी सामने आ हैं, जिनमेें सबसे ज्यादा अघोषित संपत्ति जमा की गई। इन सेक्टर्स में मुख्य रूप से रियल एस्टेट, माइनिंग, फार्मास्युटिकल्स, पान मसाला, गुटखा, तम्बाकू, बुलियन, कमोडिटी, फिल्म और एजुकेशन शामिल हैं।
कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि ब्लैकमनी पैदा होने या जमा होने पर न तो कोई विश्वसनीय अनुमान है, न ही इस तरह के अनुमान के लिए कोई सर्व स्वीकार्य मेथडोलॉजी है।’ रिपोर्ट के मुताबिक, ‘अभी तक सामने आए अनुमानों में इस उद्देश्य के लिए उपयोग की गई सर्वश्रेष्ठ मेथडोलॉजी या दृष्टिकोण को लेकर एकरूपता या सहमति नहीं है।’नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की स्टडी में कहा गया कि 1980-2010 के दौरान भारत के बाहर 384 अरब डॉलर से 490 अरब डॉलर के बीच अघोषित संपत्ति जमा होने का अनुमान है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) ने कहा कि रिफॉर्म पीरियड (1990-2008) के दौरान भारत से लगभग 216.48 अरब डॉलर की अवैध संपत्ति विदेश में जमा होने का अनुमान है। भारत से अवैध आउटफ्लो का आंकड़ा अनुमानित संपत्ति का औसतन 10 फीसदी होने का अनुमान है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी एंड फाइनेंस (एनआईपीएफपी) ने कहा कि 1997 से 2009 के दौरान अवैध फंड का आउटफ्लो जीडीपी का तुलना में 0.2 फीसदी से 7.4 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है। मार्च, 2011 में वित्त वंत्रालय ने एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम से देश के भीतर और बाहर अघोषित आय व संपत्ति के आकलन और स्टडी करने के लिए कहा था। संसदीय पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘ऐसा लगता है कि अघोषित आय और संपत्ति का विश्वसनीय अनुमान लगाना खासा मुश्किल काम है। मुख्य आर्थिक सलाहकार की राय में, एक कॉमन अनुमान लगाना बिल्कुल भी संभव नहीं है।’ एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाले इस पैनल ने 16वीं लोकसभा भंग होने से ठीक पहले 28 मार्च को अपनी रिपोर्ट लोकसभा में जमा की थी।

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