भारत और म्यांमार की सेनाओं ने मणिपुर, नगालैंड और असम में सक्रिय विभिन्न उग्रवादी समूहों को निशाना बनाते हुए बड़ी कार्रवाई की । इसमें दोनों ने अपने-अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में १६ मई से तीन हफ्ते तक साझा अभियान चलाया, जिसे ऑपरेशन सनशाइन नाम दिया गया । रक्षा सूत्रों ने रविवार को बताया कि ऑपरेशन सनशाइन २ का पहला चरण भारत-म्यांमार सीमा पर तीन महीने पहले चलाया गया था । इस दौरान पूर्वोत्तर स्थित उग्रवादी समूहों के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया गया था । म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और उग्रवाद प्रभावित मणिपुर तथा नगालैंड सहित पूर्वोत्तर राज्यों से इसकी १,६४० किलोमीटर लंबी सीमा लगती है । भारत सीमा रक्षा के लिए दोनों देशों की सेनाओं के बीच गहरे समन्वय पर जोर देता रहा है । सूत्रों ने बताया कि ‘ऑपरेशन सनशाइन-२’ के दौरान उग्रवादी समूहों के शिविरों को नष्ट करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं ने एक-दूसरे का सहयोग किया । जिन उग्रवादी संगठनों को निशाना बनाया गया, उनमें कामतापुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (केएलओ), एनएससीएन (खापलांग), उल्फा (१) और नैशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) शामिल हैं । उन्होंने जानकारी दी कि अभियान के दौरान कम से कम छह दर्जन उग्रवादियों को दबोच लिया गया और उनके कई ठिकाने तबाह कर दिए गए । सूत्रों ने बताया कि दोनों देश खुफिया सूचनाओं और जमीनी स्थिति के आधार पर अभियान का अगला चरण भी शुरू कर सकते हैं ।
अभियान में भारतीय सेना के साथ ही असम राइफल्स के जवान भी शामिल थे । बता दें कि इससे पहले २२ से २६ फरवरी तक ऑपरेशन सनशाइन १ चलाया गया था । तब भारतीय सेना ने अपनी सीमा में अराकान उग्रवादी समूह के खिलाफ ऐक्शन लिया था । ऑपरेशन के दौरान भारत की तरफ से भागकर म्यांमार गए उग्रवादियों को वहां की आर्मी ने पकड़ लिया था ।
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