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पश्चिम बंगाल में धारा 356 लगाने की तैयारी में केंद्र सरकार…?

पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार  धारा 356 का उपयोग करते हुए किसी भी क्षण राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है। सूत्रों के अनुसार जिस तरह से पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का दौर जारी है उसे देखते हुए केंद्र पश्चिम बंगाल में धारा 356 लागू करने पर विचार कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो ममता बनर्जी के राजनीतिक वजूद पर प्रश्न चिन्ह लग सकता है। सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से पश्चिम बंगाल में पार्टी नेताओं की हत्याएं हो रही है उसे बेस बनाकर भाजपा की केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार कर रही है।

ऐसे में माना जा रहा है कि राष्ट्रपति शासन लागू करने के बाद जल्द चुनाव होने पर भाजपा को फायदा मिल सकता है। नहीं तो 2021 तक मामला खिंचने पर भाजपा को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। वजह कि इस दौरान ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में डैमेज कंट्रोल कर सकतीं हैं। या फिर अर्थव्यवस्था आदि मुद्दों पर केंद्र सरकार के घिरने के बाद बीजेपी के पक्ष में बना माहौल आगे खराब हो सकता है। जिससे बीजेपी समय पूर्व चुनाव कर बने-बनाए माहौल को भुनाने की कोशिश में है।

इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी जिस तरह से बयान दिया है उससे इस बात का बल मिल रहा है कि ममता बनर्जी के किले को ढ़हाने के लिए भाजपा भी चक्रव्यूह रचने में जुट गयी है। आज भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने हत्याओं पर आग बबूला होते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने की चेतावनी दी है। पार्टी के महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने दो टूक कहा है कि अगर बंगाल में ऐसे ही हालात रहे तो केंद्र को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है, इसलिए हम धारा 356 की मांग करते हैं।

कैलाश विजयवर्गीय का यह बयान, उत्तर 24 परगना जिले में कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद पूरे बंगाल में आयोजित काला दिवस के दौरान आया है। इस बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचने के बाद से राज्य में राष्ट्रपति शासन की अटकलों का दौर तेज है। हम यह भी बता दें कि पिछली मोदी सरकार ने दो बार धारा 356 का इस्तेमाल कर सरकारों को बर्खास्त किया था। मार्च 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाकर कांग्रेस की हरीश रावत सरकार बर्खास्त कर दी गई थी।

जिसे उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इसे ग़लत ठहराया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो यहां भी सरकार की हार हुई। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में भी निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने वाले फैसले को 13 जुलाई 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इस प्रकार देखें तो भाजपा ने दो बार दो राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया, मगर दोनों बार कोर्ट ने खारिज कर दिया। जिसे भाजपा के लिए झटका माना गया।

संविधान विशेषज्ञ भी कहते हैं कि अगर किसी राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई हो। वहां के राज्यपाल इसकी पुष्टि करते हुए रिपोर्ट भेजें और राष्ट्रपति उस रिपोर्ट को स्वीकार करें तो फिर राष्ट्रपति शासन लग सकता है। चूंकि संविधान में कहा गया है कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करता है। ऐसे में मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर भी राष्ट्रपति धारा 356 के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर किसी राज्य की सरकार को बर्खास्त कर सकते हैं। ध्यान रहे कि किसी राज्य में जब पूरी तरह शासन व्यवस्था फेल होता दिखे, तब ही ऐसे कदम उठाए जाते हैं।

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