२०१४ लोकसभा चुनाव की तर्ज पर राजस्थान में क्लीन स्वीप के लिए बीजेपी जोर-शोर से सूबे में प्रचार अभियान में जुटी है । दरअसल, विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बीजेपी का फोकस अब राजस्थान पर है । पार्टी २०१४ के लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन यहां दोहराना चाहती है । इसके लिए पार्टी यहां हर वर्ग को साधने में जुटी है । इसी क्रम में गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला अपने बेटे विजय बैंसला के साथ बुधवार को बीजेपी में शामिल हुए । हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी की वरिष्ठ नेता और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बैंसला के पार्टी में शामिल होने को लेकर नाराज हैं । उधर बीजेपी में शामिल होने से पहले बैंसला ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात की । दरअसल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों में हुई हार के बाद पार्टी ने तीनों राज्यों में अपनी रणनीति में बदलाव किया है । तीनों ही राज्यों में पार्टी अब हर वर्ग को साधने में जुटी हुई है । इसी क्रम में पिछले दिनों राजस्थान के मारवाड़ इलाके में असर रखने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया था । केंद्रीय मंत्री और राजस्थान के चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर की मौजूदगी में आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल एनडीए (नैशनल डेमोक्रैटिक अलायंस)में शामिल होने का ऐलान किया था । इसके बाद से ही यह अटकलें भी तेज हो गई थी कि बैंसला भी जल्द बीजेपी में शामिल होंगे । राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी मारवाड़ इलाके के नागौर, बाड़मेर, जोधपुर, जालोर, पाली और सीकर जिलों में आरएलपी का जनाधार माना जाता है । इस बेल्ट की कई सीटों पर जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं । यही वजह है कि बेनीवाल के आने से बीजेपी को इस क्षेत्र की लोकसभा सीटों पर लाभ मिल सकता है । गुर्जर नेता बैंसला सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए ५ प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर लगातार आंदोलनरत रहे हैं । फरवरी में अपनी मांग को लेकर समर्थकों के साथ सवाईमाधोपुर के मलारना डूंगर में रेल पटरी पर बैठ गए थे । बाद में करौली जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उनके घर के बाहर एक नोटिस चस्पा करना पड़ा । करौली के जिला कलेक्टर ननूमल पहाड़िया ने तब कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के हवाले से जारी इस नोटिस में कहा गया है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, सड़क और रेल मार्ग को अवरूद्ध करना न्यायालय की अवमानना है ।