इस बार दक्षिण -पश्चिम मॉनसुन देश में निर्धारित से पहले पहुंचने और उसके बाद तेजी से पश्चिमी हिस्सों में फैलने की उम्मीद हैं । इससे जून में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान है, जो चार महीने के सीजन का पहला महीना हैं । जून में सामान्य बारिश का स्तर १६४ मिलिमीटर हैं । जबकि जुलाई और अगस्त का स्तर क्रमशः १८९ मिलिमीटर और २६९ मिलीमीटर हैं । मौसम पूर्वानुमान जारी करने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत ने कहा कि २९ या ३० मई को आगाज के बाद दक्षिण- पश्चिम मॉनसुन पश्चिमी तट, दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत और यहां तक कि पूर्वी एवं उत्तर पूर्व में तेजी से बढ़ने के आसार हैं । उन्होंने कहा कि जून में छत्तीसगढ़ और विदर्भ में मॉनसुन से पहले की अच्छी बारिश का अनुमान हैं, जहां मॉनसुन आम तौर पर जून के आखिर या जुलाई की शुरुआत तक पहुंचता हैं । सरकार के भारतीय मौसम विभाग में लंबी अवधि के अनुमानों के निदेशक डीएस पई ने इससे सहमति जताई । वह कहते हैं कि ३० मई के आसपास मॉनसुन आने के बाद बारिश पश्चिमी तट की तरफ तेजी से बढ़ेगी । वहीं कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण मॉनसुन को देशभर में फैलने में मदद मिलेगी । पई ने कहा कि इस समय बारिश का वितरण देशभर में ठीक रहने के आसार नजर आ रहे हैं । मौसम विभाग अगले महीने की शुरुआत में क्षेत्रवार और माहवार अनुमान जारी करेगा । इस समय ऐसा लग रहा हैं कि मॉनसुन उनके शुरुआती अनुमान लंबी अवधि के औसत (एलपीए) के ९६ फीसदी से भी अधिक रह सकता हैं । एलपीए भारत में १९५१ से ५० वर्षो तक हुई बारिश का औसत हैं । यह करीब ८९० मिलिमीटर हैं । मौसम विभाग की उम्मीद की एक वजह यह है कि अलनीनों की स्थितियां कमजोर पड़ रही हैं । अलनीनो पर प्रामाणिक माने जाने वाले ओस्ट्रेलियाई मौसम विभाग ने कहा है कि इसके इस साल ५० फीसदी आसार है, लेकिन उसके ज्यादातर मॉडल यही संकेत दे रहे२ हैं कि यह इस बार कमजोर रहेगा । भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान में कहा गया था कि कमजोर अलनीनो और तटस्थ से लेकर सकारात्मक इंडियन ओशन डायपोल दक्षिण पश्चिम मॉनसुन के लिए बहुत फायदेमंद रहेंगे । वर्ष २०१७ में बारिश का वितरण समान रह सकता हैं, जो भारत के लिए बहुत अहम हैं । इससे और समय पर दक्षिण पश्चिम मॉनसुन आने से खरीफ की अच्छी फसल होने की सुनिश्चितता बढ़ेगी ।
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