उपभोक्ता के हित में संरक्षण तथा उनके जुड़े विवादों के समय से प्रभावी निपटारे से संबधित उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-२०१८ को लोकसभा ने मंजूरी प्रदान कर दी । विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे देश के संघीय ढांचे को नुकसान हो । उन्होंने कहा कि राज्यों के अधिकारों को पुरा ख्याल रखा गया है और उसमें किसी तरह का दखल नहीं होगा । पासवान ने कहा कि यह कानून १९८६ में बना था, तब से स्थिति में इतना बदलाव आ गया लेकिन कानून पुराना ही था । इसलिए नया विधेयक लाने का निर्णय लिया गया । उन्होने विधेयक को निर्विवाद बताते हुए कहा कि यह देश के सवा सौ करोड़ उपभोक्ताओं के हित में है । इसमें केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) बनाने का प्रावधान है । पासवान ने कहा कि पहले उपभोक्ता को वहां जाकर शिकायत करनी होती थी जहां से उसे सामान खरीदा है, लेकिन अब घर से ही शिकायत की जा सकती है । इसके अलावा विधेयक में मध्यस्थता का भी प्रावधान है ।
उन्होंने कहा कि नये विधेयक में प्रावधान है कि अगर जिला और राज्य उपभोक्ता फोरम उपभोक्ता में हित में फैसला सुनाते हैं तो आरोपी कंपनी राष्ट्रीय फोरम में नहीं जा सकती । पासवान ने कहा कि स्थाई समिति ने भ्रामक विज्ञापनों में दिखने वाले सेलिब्रिटियों को जेल की सजा की सिफारिश की थी लेकिन इसमें केवल जुर्माना का प्रावधान किया गया है । मंत्री ने कहा कि उन्होंने सभी पक्षों के सुझावों को स्वीकार किया है और आगे भी स्वीकार करेंगे ।
विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने कहा कि विधेयक में केंद्र सरकार को राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार देता है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि अर्द-न्यायिक इकाई होने के नाते इसमें न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी या नहीं ।
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