मुंबई की सेशंस कोर्ट ने ६ साल पहले नेपाली मूल की ऐक्ट्रेस मीनाक्षी थापा की हत्या के मामले में शुक्रवार को दोनों दोषियों को आजीवन कैद की सजा सुनाई है । साल २०१२ में हुई हत्या के इस मामले में मुंबई की सेशंस कोर्ट के जज एस.जी. शेट्टी ने अमित जायसवाल और प्रीति सुरीन को अपहरण और हत्या के मामले का दोषी करार दिया था ।
अदालत ने इस संबंध में अमित और प्रीति को आईपीसी की धारा ३६४-ए (अपहरण और फिरौती) और ३०२ (हत्या) के तहत दोषी मानते हुए शुक्रवार को उम्रकैद की सजा देने का फैसला सुना दिया । दो दिन पहले बुधवार को मुंबई में इस मामले की सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक उज्जवल निकम ने मीनाक्षी की हत्या के मामले में जज के समक्ष अपनी दलीलें पेश की थी । मामले की सुनवाई के दौरान निकम ने कहा कि अमित और प्रीति १३ मार्च २०१२ को मीनाक्षी को भोजपुरी फिल्मों में काम दिलाने के बहाने उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद लेकर गए थे । इस दौरान उन्होंने पहले उससे फिरौती की मांग की और फिर उसकी हत्या कर दी । मीनाक्षी की हत्या के बाद दोनों ने उसके सिर को काटकर इलाहाबाद-लखनऊ राजमार्ग पर चलती बस से फेंक दिया था, जबकि धड़ को इलाहाबाद के एक टैंक में फेंककर ठिकाने लगाने की कोशिश की गई थी । इस वारदात के बाद दोनों आरोपी १४ मार्च २०१२ को लखनऊ से गिरफ्तार किए गए थे ।
मामले की सुनवाई के दौरान उज्जवल निकम ने कहा कि इस केस के संबंध में कुल ३६ गवाहों का बचान दर्ज किया गया था । इन गवाहों में शामिल मीनाक्षी के दोस्त आलोक थापा ने अपनी बयान में कहा कि मीनाक्षी ने १२ मार्च २०१२ को उनसे यह कहा था कि वह एक फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में प्रीति और अमित के साथ गोरखपुर जा रही हैं । इसके बाद मीनाक्षी ने दोनों आरोपियों को उनसे मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्टेशन पर मिलवाया भी था । वहीं मामले की आरोपी प्रीति के पिता ने अपने बयान में कहा कि मीनाक्षी और अमित १४ मार्च २०१२ को उनके घर पर आए थे ।
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