सीरिया के पूर्वी गोता में विद्रोहियों के आखिरी ठिकाने डौमा शहर में किए केमिकल अटैक से करीब ५०० लोग प्रभावित हुए है । वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कहा कि ५०० से अधिक लोगों में केमिकल अटैक का असर होने के लक्षण पाए गए है । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सीरिया जाने देने की अनुमती भी मांगी है ताकि हालत का जायजा लिया जा सके । पिछले सप्ताह डौमा में हुए केमिकल अटैक में कम से कम ७० लोग मारे गए थे । वॉशिंग्टन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इस अटैक में नर्व गैस का इस्तेमाल किया गया था, जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया और उनके मुंह से झाग निकलने लगा ।
एक मेडिकल वर्कर मोहम्मद मरहूम ने वॉशिंग्टन पोस्ट से बताया, यह हमला जब हुआ, उस वक्त लोग बेतहाशा भागने लगे । उनके मुंह से झाग निकल रहे थे और शहर में जो भी क्लीनिक खुले थे लोग आनन-फानन में वहां पहुंचे । अस्पताल के स्टाफ को तुरंत यह पता चल गया था कि यह कुछ अलग हुआ । पीड़ितों को क्लोरीन की तेज गंध महसूस हुई, लेकिन इस बार पहले के मुकाबले कही ज्यादा लोग गैस अटैक से प्रभावित हुए थे ।
मरहूम ने कहा कि मुझे और अन्य मेडिकल वर्कर्स को यह संदेह हुआ कि लोगों को मारने वाली यह गैस क्लोरीन से कही ज्यादा ताकतवर है ।
उन्होंने कहा, हमे लगता है कि इस अटैक में क्लोरीन के अलावा किसी और गैस का भी इस्तेमाल किया गया था । मरहूम ने २ साल के मासूम बच्चों की दम घुटने से मौत होने की घटना बयां करते हुए कहा, उनके शव ठंडे अकड़े हुए पड़े थे । उनके मुंह से झांग निकल रहा था । उनके शरीर पर कोई जख्म नहीं थे, निश्चित तौर पर दम घुटने के चलते उनकी मौत हुई थी ।
बता दें कि भले ही सरकार विरोधी सीरिया की बशर अल असद सरकार पर इस हमले का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन उसने इससे इनकार किया है ।