एक बोली :- अरे बहन, पता नही औरतें अपने पति की बुराई कैसे कर देती हैं।
अब मेरे वाले को देख लो। न अक्ल है न शक़्ल।
नाक टेढ़ी, सर गंजा, दांत खैनी से रचे हुए।
रंग ऐसा जैसे पैदा होते ही भट्ठी में डाल कर भून दिया हो।बोलता है तो ऐसा लगता है जैसे मिल का भोंपू बज रहा हो।
और कजूंस इतना के कच्छे भी सैकेंड हैंड ख़रीद के पहनता है ।
खर्राटे इतने मारता है के दिल करता है सोते हुए ही उसकी नाक में मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा दूँ …
पर बहन मजाल है जो आज तक मैंने कभी किसी के सामने उसकी बुराई की हो ।
जैसा भी है मेरा पति तो मेरा देवता है। मैं तो नहीं करती उसकी बुराई।