आगामी शैक्षणिक वर्ष २०१८-१९ के नये सत्र से कॉलेज में पढ़ाते लेक्चरर और प्रोफेसरों ने अब कॉलेजों में ७ घंटे की अनिवार्य नौकरी करना पड़ेगा । यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रान्ट्स कमिशन) अब कॉलेज के नियमों और कानूनों में बड़ा बदलाव कर रही है । फिलहाल के नियमों में सुधार करने के लिए सूचना और आपत्ति मंगाने की प्रक्रिया पूरी की गई है । कुछ ही दिनों में इस मामले में निर्णय लिया जाएगा । जिसके कारण लेक्चरर और प्रोफेसरों ने कॉलेज में अनिवार्य सात घंटे उपस्थित होना पड़ेगा । आगामी वर्ष से यह नियम लागू होने के बाद विद्यार्थियों की समस्या कुछ हद तक सुधार हो सकती है क्योंकि विद्यार्थियों के प्रश्नों के निराकरण के लिए पीरियड बाद अध्यापक भी उपलब्ध रहेंगे । यूजीसी ने गत महीने में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति के लिए रेग्युलेशन -२०१८ का ड्राफ्ट जारी किया गया है । पब्लिक टीचर्स एसोसिएशन, विश्वविद्यालय-कॉलेजों और शिक्षकों के पास से उनके फीडबेक मंगा लिया गया है । यह रेग्युलेशन की सबसे ज्यादा असर टीचिंग स्टाफ पर पड़ेगा । हाल की व्यवस्था के अनुसार लाख से डेढ़ लाख तक का वेतन लेते प्रोफेसर और लेक्चरर कॉलेज में सिर्फ दो या तीन पीरियड लेते है और कॉलेज में वह सिर्फ दो से तीन घंटे के लिए रूकते है ।
इसके कारण कुछ कॉलेज में परीक्षा आ जाए वहां तक कोर्ष पूरा नहीं होता है, जिसके कारण विद्यार्थियों ने खुद ही पेपर की तैयारी करने के दिन आते है । कभी विद्यार्थियों के डाउट्स के लिए भी प्रोफेसर उपलब्ध नहीं होने के उदाहरण बनते रहते है अब यूजीसी ने शुरू किया फेरबदल की तैयारी के तहत नया निर्णय कुछ ही दिनों में जारी होगा । इसके अनुसार नये सत्र से प्रोफेसर और लेक्चरर कॉलेज में अनिवार्य सात घंटे रूकने का पड़ेगा ।
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