भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा का मुद्दा लगातार गर्माया हुआ है । महाराष्ट्र और गुजरात से लेकर राजधानी दिल्ली तक इसकी गूंज सुनाई दे रही है । इस बीच महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में गुजरात के दलित विधायक जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्रनेता उमर खालिद के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है । दोनों पर हिंसा को भड़काने का आरोप लगाया गया है । पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा १५३ ए, ५०५ और ११७ के तहत यह केस दर्ज किया गया है । इस बीच पुलिस ने मुंबई में होने वाले जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के कार्यक्रम को भी अनुमति देने से इन्कार कर दिया है । मुंबई पुलिस ने इसके लिए कानून-व्यवस्था के बिगड़ने का हवाला दिया । पुलिस की इस कार्रवाई के बाद जिग्नेश समर्थकों ने प्रदर्शन और नारेबाजी की । इस दौरान पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया । जिग्नेश मेवाणी ने ३१ दिसम्बर को भीमा-कोरेगांव में दिए अपने भाषण में भी पीएम मोदी पर तीखे हमले किए थे, जिग्नेश ने कहा था, गुजरात के बाद पूरे देश में हम ५६ इंच के सीने को फाड़कर रख देंगे । इस देश के प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब उन्होंने कर्मयोगी किताब लिखी थी । इसमें उन्होंने कहा था कि सफाईकर्मियों को सफाई करने में आध्यात्मिकता का आनंद मिलता है । यही नव पेशवाई है । मैं प्रधानमंत्री को आह्वान करता हूं कि यहां आएं और दलितों के साथ एक दिन गटर में उतरें और नव पेशवाई का आनंद लें । इससे उन्हें पता चलेगा कि नव पेशवाई क्या है ।
दरअसल, यह पूरा विवाद १ जनवरी १८१८ के दिन हुए उस युद्ध को लेकर है, जो अंग्रेजों और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच कोरेगांव भीमा में लड़ा गया था । इस युद्ध में अंग्रेजों ने पेशवा को शिकस्त दे दी थी । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज में बड़ी संख्या में दलित भी शामिल थे । उस युद्ध में अपनी जीत का जशन मनाने के लिए ही दलित समुदाय की तरफ से पुणे में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिस पर बवाल हो गया ।
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