गुजरात चुनावों में पाटीदारों ने अपना बड़ा प्रभाव छोड़ा है । बीजेपी को छठी बार राज्य में सत्ता पर काबिज होने से पाटीदार भले ही नहीं रोक पाए हो, लेकिन पार्टी की बड़ी जीत के मंसूबों को ९९ पर लाकर जरूर छोड़ दिया । ५२ सीटों पर पाटीदार समुदाय की २० से अधिक फीसदी आबादी है, जहां बीजेपी ने २८ और कांग्रेस ने २३ सीटों पर जीत दर्ज की । एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी इन ५० में से १ सीट पर जीत दर्ज की । २०१२ में बीजेपी ने ३६ सीटें जीती थी और कांग्रेस ने १४, गुजरात परिवर्तन पार्टी ने २ सीटों पर कब्जा जमाया था । स्पष्ट है कि कांग्रेस के लिए यहां से जरूर कुछ राहत की खबर आ रही है । सौराष्ट्र इलाके में कांग्रेस की शानदार परफॉर्मेंस (कांग्रेस ३०, बीजेपी २३ और एनसीपी १) में भी पाटीदारों की बड़ी भूमिका है । सौराष्ट्र इलाके में इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस के प्रदर्शन के पीछे कुछ स्थानीय मुद्दों ने भी बड़ी भूमिका निभाई । चुनाव विश्लेषणों से एक और बात समझ में आ रही है कि दूसरी जातियों की तरफ से हुए मतों के ध्रुवीकरण की वजह से बीजेपी को गुजरात में सौराष्ट्र को छोड़कर बाकी तीन क्षेत्रों में जीत मिली । गांव में पाटीदारों के साथ दूसरी जातियों को लेकर थोड़ा अलग और तनातनी का माहौल है । इसकी वजह पाटीदारों के विदेशों में रोजगार के अवसर, राजनीतिक प्रभाव, पैसा और जमीनों पर मालिकाना हक जैसे कारण शामिल है ।
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