पिछले एक वर्ष में १० में से पांच लोगों ने अपने काम करवाने के लिए सरकारी अधिकारियों को घुस देने की बात स्वीकारी है । एक ऑनलाइन सर्वे के अनुसार इन १० में आठ लोगों ने स्थानीय स्तर पर पुलिस, नगर निगम अधिकारीयों और प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और वैट आदि से जुडे़ मामलों में रिश्वत दी । इस सर्वे को कराने वाली वेबसाइट लोकल सर्कल का दावा है कि उसके इंडिया करप्शन सर्वे में २०० से ज्यादा शहरों से एक लाख लोंगो ने भाग लिया । इन प्रतिभागियों ने वेबसाइट द्वारा पुछे गए ८ सवालों के जवाब दिए । सर्वे में भाग लेने वाले २५ फीसदी लोगों ने बताया कि उन्हें कई बार रिश्वत देनी पड़ी वहीं अन्य २० फीसदी का कहना था कि बीते एक साल में उन्होंने एक या दो बार रिश्वत दी है । अन्य ९ फीसदी लोग ऐसे थे जिन्होंने कहा कि पीएफ, इनकम टैक्स, सर्विस टैक्स और रेलवे जैसे मामलों में उन्हें रिश्वत देनी पड़ी । एक तिहाई लोगों ने माना कि उन्हें लगता है कि सर्फ रिश्वत के जरिये ही काम करवाया जा सकता है । वहीं २० फीसदी लोगों ने कहा कि रिश्वत को न कहने के बाद उनका काम अटक सकता है । सर्वे में यह बात भी सामने आई कि आदे से ज्यादा प्रतिभागियों ने माना कि राज्य व स्थानीय निकायों ने बीते एक साल में रिश्वत कम करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए है । करीब ४२ फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि भ्रष्टाचार कम करने के लिए कुछ कदम तो उठाए गए हैं लेकिन वे प्रभावी नहीं है । प्रतिभागियों ने यह भी माना कि भ्रष्टाचार की शिकायत करना एक मुश्किल काम है और सिर्फ ९ फीसदी लोगों ने माना कि राज्य सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक हॉट लाइन काम करती है । पिछले एक वर्ष में १० में से पांच लोेगों ने अपने काम करवाने के लिए सरकारी अधिकारियों को घुस देने की बात स्वीकारी है ।
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