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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ( RSS )

जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ( RSS )
के सम्बन्ध मे अनर्गल प्रलाप सुनता हूं तो मन व्यथित होता है । जो नेता , पत्रकार संघ का “क ख ग” भी नहीं जानते वो संघ दर्शन / विचार पर लंबे लंबे भाषण में विरोध करते दिखाई देते हैं ।
उनको धिक्कारते हुए उनके लिए जानकारी….

कृपया जो लोग संघ को जानते नहीं, उनसे निवेदन है कि,”संघ के कार्यालय या शाखा पर कभी जायें व संघ को समझने का प्रयास करें

जीवन लगा देने वाले

“राष्ट्रीय नमः स्वाहा”
एक मंत्र

स्वयं झाड़ू लगाना

भोजन खा कर थाली धोकर करीने से रख देना।

चाय भी पियो किंतु पैसे स्वयं की जेब से देना

दो चार जोड़ी कपड़े में जीवन निर्वहन।

एक बगल थैला भर का वैभव

क्या जानते हैं आप संघ के बारे में ?

सदा अविवाहित, संत जीवन, तपस्वी जीवन जीते हैं संघ के प्रचारक

“नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे” …से दिन की शुरुआत होती है।

योग..

महापुरुषों पर सम्बोधन

हर पर्व, त्योहार, महापुरुषों की जन्मतिथि मनाना ।

राष्ट्र के लिए वो केरल के आततायी और कश्मीरी आतंक के गढ़ों मे कहीं भी मैदान में ध्वज के समक्ष प्रार्थना गाते स्वयं के पैसों से खरीदे गए गणवेश में वो बच्चे वो नवजवान वो बुजुर्ग ।

क्या जानते हैं आप संघ के बारे में ?

1925 में नागपुर के एक छोटे से मैदान में मात्र 4 लोगों की शाखा से संघ की शुरुआत हुई और आज यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वयंमसेवकों की फौज है ।

RSS वह संगठन है, जिसके लिए पाकिस्तान ने कहा था :- अगर संघ 10 साल बाद बना होता तो हम भारत का बहुत बड़ा हिस्सा हासिल कर लेते । कोलकाता आज पूर्वी पाकिस्तान का पार्ट होता ।

एक ऐसा भी वक्त आया जब नेहरूवाद और छद्मसेक्युलरवाद का शिकार हो संघ भारत मे बैन किया गया । पर 1962 भारत चीन युद्ध मे RSS के अमूल्य योगदान देख उसी नेहरू और कांग्रेस ने संघ को रिपब्लिक डे परेड में पार्टिसिपेशन के लिए आमंत्रित भी किया ।

*वो जंगलों में धर्मांतरण रोकने हेतु दर-२ प्रकल्पों में भटकते प्रचारक। वाल्मीकियों के लिए विविध योजनाओं में भागीदार संघ।

“वनवासी कल्याण संघ”, *सेवा भारती” और “सरस्वती विद्या मंदिर” के माध्यम से सेवा बस्ती में बच्चों में संस्कार सिंचित करता संघ।सरकार के हर जन कल्याण की योजना के क्रियान्वयन में सकारात्मक अभिगम।

चाहे पीड़ित किसी भी धर्म का हो .. हिंदुस्तान के किसी भी कोने में आफत आ जाये तो
न जाने कहां से किसकी सूचना से दायित्व संभाल लेते वो स्वयं सेवक। और ये स्वयं सेवक किसी होटल मे नहीं रुकते।
उन्हीं बस्तियों में किसी साथी के यहां खाना खा लेते हैं

संघ में कोई दलित नहीं।
कोई पंथ नही, कोई जाति नहीं ।
सिर्फ एक ही धर्म….. राष्ट्रधर्म ।

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच और राष्ट्रीय इसाई मंच के नाम से संघ की शाखाएं हैं, जहां मुस्लिम और ईसाई राष्ट्रवाद के पथ पर कंधा से कंधा मिलाकर काम करते हैं ।

विश्व भर में फैली संघ की शाखाएं “विश्व हिन्दू संघ” के नाम से जानी जाती है । मिथ्या बातें कि वहां किसी धर्म के विरुद्ध बातें होती हैं। अगर किसी व्यक्ति को शक हो तो वह संघ की किसी भी शाखा में खुद जाकर जांच कर ले ।

*संघ , गोलवलकर और हेडगेवार देता है ।
*संघ नरेंद्र मोदी देता है ।
*अटल बिहारी, आडवाणी, देता है
*संघ अनगिनत मुख्यमंत्री देता है
*असंख्य प्रचारक देता है व राष्ट्र पर मर मिटने वाले स्वयंसेवको की फ़ौज देता है
*संघ राष्ट्रवाद की सोच देता है

यदि देशद्रोह का सिंचन हो रहा है तो जरूरी है की राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत राष्ट्र वाद का प्रखर प्रहरी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी जरूरी है !!

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