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राज्यसभा चुनावः नोटा पर स्टे लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

गुजरात में ८ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में नोटा विकल्प के इस्तेमाल को लेकर तकरार पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को तत्काल राहत देने से इनकार किया हैं । सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कांग्रेस की तरफ से याचिका दायर में देरी का जिक्र करते हुए नोटा पर तत्काल रोक लगाने से इन्कार कर दिया । कोर्ट ने इस संबंध में चुनाव आयोग को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं और मामले की सुनवाई १३ सितम्बर के लिए टाल दी हैं । दरअसल वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पेशे से वकील कपिल सिब्बल ने राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल के खिलाफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमिताभ रॉय और जस्टिस एएम खानविलकर की सदस्यता वाली पीठ के समक्ष याचिका दायर कर फौरन सुनवाई का अनुरोध किया । सिब्बल का तर्क था कि इन चुनावों में इस्तेमाल होेने वाले बैलेट पेपर नोटा के लिए कोई सांविधानिक प्रावधान नहीं हैं । ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई की । लेकिन नोटा के खिलाफ याचिका दायर करने में कांग्रेस की तरफ से देरी का जिक्र करते हुए उसे तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया । पीठ ने सिब्बल से पूछा चुनाव आयोग ने जनवरी २०१४ में ही इस बाबत नोटिफिकेशन जारी किया था । इसके बाद कई राज्यसभा चुनाव हुए । तब आप कहां थे और अब जबकि यह आपके फेवर में नहीं जा रहा तो इसे चुनौती दे रहें हैं । इस पर सिब्बल ने अपनी जिरह में कहा कि अगर नोटा पर स्टे नहीं लगाया गया तो इससे भ्रष्टाचार और बढ़ेगा । इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राज्यसभा चुनाव में नोटा के प्रावधान की संवैधानिक के सवाल पर सुनवाई के लिए तैयार हैं । लेकिन कई चुनाव हुए जिसमें नोटा का इस्तेमाल हुआ । तो विरोध सिर्फ गुजरात विधानसभा चुनाव में हीं क्यों हो रहा हैं । इस दौरान चुनाव आयोग ने भी कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नोटा का प्रावधान किया गया उसके बाद कई चुनाव हुए जिसमें नोटा का इस्तेमाल किया गया . दरअसल गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा ने अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी और वलंवत सिंह राजपूत को उतारास वहीं कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी के लिए राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल चुनाव मैदान में हैं । हालांकि यहां कांग्रेस के ६ विधायकों के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को फूट की आशंका है और ऐसे में वह आगे किसी भी तरह से नुकसान से बचने की कोशिश कर रही हैं और इसी के तहत उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी । दरअसल राज्यसभा चुनाव में विधायकों को अपना बैलेट पेपर बोक्स में डालने से पहले उसे पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाना पड़ता हैं । चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक अगर कोई विधायक पार्टी के निर्देश का उल्लंघन कर किसी दूसरे के पक्ष में वोट डालता है या नोटा का इस्तेमाल करता हैं तो उसे विधायक के रुप में अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता ।

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