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छोटे-मोटे अपराधों के ५००० कैदियों को महाराष्ट्र सरकार रिहा करने को तैयार

सूबे की जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या से परेशान महाराष्ट्र सरकार ने आखिरकार छोटे-मोटे अपराधों के आरोपियों को छोड़ने का फैसला किया है । राज्य सरकार ने पुलिस को उन विचाराधीन कैदियों को छोड़ने की व्यवस्था करने को कहा है जिन पर गंभीर किस्म के आरोप नहीं है । ऐसे कैदियों की तादाद ५ हजार से भी ज्यादा है । सरकार का यह कदम जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की समस्या के हल के लिए है । महाराष्ट्र की जेलों में करीब ७०० ऐसे विचाराधीन कैदी भी बंद हैं जिनकी जमानत तो हो चुकी है लेकिन वे इतने गरीब हैं कि जमानत की राशि जमा नहीं कर पाए हैं । राज्य सरकार ने पुलिस से ऐसे कैदियों की भी रिहाई की व्यवस्था करने को कहा है । राज्य सरकार का यह निर्देश ऐसे वक्त आया है जब पिछले महीने ही में भायकुला महिला जेल में कैदियों ने उपद्रव किया था जिसमें ६ जेल कर्मचारी घायल हुए थे । एक कैदी की मौत के बाद हिंसक जेल के भीतर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गया था ।
कैदियों ने कथित तौर पर जेल स्टाफ की पिटाई की थी । भायकुला जेल में क्षमता से ज्यादा कैदी है और वे लंबे वक्त से जरूरी सुविधाओं की कमी की शिकायत कर रहे थे । राज्य के जेलों से विचाराधीन कैदियों की रिहाई का फैसला अडिशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) एसके श्रीवास्तव द्वारा गुरुवार को बुलाई गई बैठक में लिया गया । बैठक में प्रिंसिपल सेक्रेटरी (जेल) श्रीकांत सिंह, एडीजीपी (जेल) बीके उपाध्याय, एडीजीपी प्रभात कुमार और एसीपी ए.जयकुमार शामिल हुए थे । महाराष्ट्र की जेलों में फिलहाल करीब २९ हजार कैदी हैं, जिनमें से करीब ५ हजार सजायाफ्ता हैं । २४ हजार विचाराधीन कैदियों में ५ हजार से ज्यादा ऐसे कैदी हैं जिन पर गंभीर अपराध के आरोप नहीं है और उन्हें तुरंत छोड़ा जा सकता है ।

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