पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान यूनियनों की तरफ से रेल रोको आंदोलन को मुकम्मल तौर पर हटाने से इनकार करने पर निराशा जाहिर की है। सीएम ने कहा, रेल रोको आंदोलन से बीते डेढ़ महीने से वास्तव में पंजाब की गति थम गई है और बहुत बड़े स्तर पर परेशानियों के साथ-साथ यह आंदोलन घाटे का कारण बना हुआ है।
किसान यूनियनों की तरफ केंद्र सरकार के साथ पिछले सप्ताह हुई विचार-चर्चा की रोशनी में बुधवार को की गई मीटिंग में लिए गए यात्री ट्रेनों संबंधी फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, उन्हें उम्मीद थी कि पंजाब के हित में ख़ासकर इस मुद्दे पर राज्य सरकार के मजबूत समर्थन और खेती कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार की तरफ से किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत का रास्ता खोलने से किसान यूनियनें अपनी जिद से पीछे हटेंगी।
कैप्टन ने कहा, यात्री रेलें रोकने के संबंध में किसान यूनियनों की तरफ से स्थिति यथावत रखने का लिया गया फैसला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इससे मालगाड़ियों के यातायात में भी रुकावट बनी हुई है।
सीएम ने कहा, किसान जत्थेबंदियों को यह समझना चाहिए कि कोई भी कदम इस तरह निरंतर जारी नहीं रह सकता और यदि रेल यातायात और समय तक स्थगित रहा तो राज्य गहरे संकट में फंस जाएगा और कोई भी सरकार ऐसी स्थिति सहन नहीं कर सकती।
केंद्र की तरफ से कृषि बिल लाए जाने के समय से ही राज्य सरकार द्वारा किसानों के पक्ष में खड़े होने की तरफ इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, केंद्रीय कानूनों को असरहीन करने के लिए विधानसभा में बिल लाना एक बड़ा कदम था। उन्होंने कहा कि हालांकि किसानों को पंजाब के हर वर्ग की तरफ से पूर्ण सहयोग मिल रहा है। इसके साथ ही वह भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि किसानों के संघर्ष में उनकी सरकार अपनी सत्ता को त्यागने के लिए तैयार है। इन संकेतों के बावजूद किसान यूनियनों के रेलें रोकने से राज्य के खजाने, उद्योगों, आम लोगों और यहां तक कि किसानों पर पड़ रहे गंभीर वित्तीय और अन्य प्रभावों को विचार किए बिना रेल गाड़ियों को इजाजत न देने पर दृढ़ हैं।
कैप्टन ने कहा, कोरोना काल के कारण सिर्फ उद्योगों को पहले ही 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान (अभी तक जारी) बर्दाश्त करना पड़ा है, जिसने राज्य को बड़े आर्थिक संकट में धकेल दिया है। अकेले लुधियाना और जालंधर में उद्योगों को 22,000 करोड़ का घाटा सहना पड़ा है, जबकि ढंडारी ड्राई पोर्ट पर 13,500 से अधिक कंटेनर फंसे हैं, जहां से रेल यातायात के मुअत्तल के कारण उनको देश के अन्य हिस्सों में नहीं भेजा जा सका। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि सेक्टर की बात करें तो बारदाने की 60,000 बोरियां दिल्ली और राजपुरा में फंसी हुई हैं, जिससे अनाज मंडियों में से धान की फ़सल की ढुलाई पर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि रेल सेवाओं के मुअत्तल से पंजाब से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत वितरण के लिए 40 लाख टन चावलों की सप्लाई भी नहीं हो सकी, जिस कारण केंद्र सरकार तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से अनाज उठाने लगी है।
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