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कश्मीर है पाकिस्तान के पांव की बेड़ी

कल दो दृश्य देखने लायक हुए। एक तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने चीन पहुंच कर फिर कश्मीर की ढपली बजाई और दूसरा, फ्रांस के राष्ट्रपति और जर्मनी की चांसलर जब मिले तो दोनों ने एक-दूसरे को हाथ जोड़कर और नमस्ते बोलकर अभिवादन किया। ऐसा ही ट्रंप और इस्राइल के प्रधानमंत्री भी करते हैं। यह देखकर दिल खुश हुआ लेकिन समझ में नहीं आता कि पाकिस्तान अपने इस्लामी मित्र-देशों से क्यों कटता जा रहा है ? वह ज़माना लद गया जब अंतरराष्ट्रीय इस्लामी संगठन कश्मीर पर पाकिस्तान की पीठ ठोका करता था। सालों-साल वह भारत-विरोधी प्रस्ताव पारित करता रहा। पिछले साल जब भारत सरकार ने धारा 370 हटाई तो पाकिस्तान का साथ सिर्फ दो देशों ने दिया। तुर्की और मलेशिया। सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसी इस्लामी राष्ट्रों ने उसे भारत का आतंरिक मामला घोषित किया। पाकिस्तान के आग्रह के बावजूद सउदी अरब ने कश्मीर पर इस्लामी संगठन की बैठक नहीं बुलाई। इस पर उत्तेजित होकर कुरैशी ने कह दिया कि यदि सउदी अरब वह बैठक नहीं बुलाएगा तो हम बुला लेंगे। इस पर सउदी अरब ने पाकिस्तान को जो 6.2 बिलियन डाॅलर का कर्ज 2018 में दिया था, उसे वह वापस मांगने लगा। उसने पाकिस्तान को तेल बेचना भी बंद कर दिया। पाकिस्तान के सेनापति कमर जावेद बाजवा सउदी शहजादे को पटाने के लिए रियाद पहुंचे लेकिन वह उनसे मिला ही नहीं। इसीलिए अब चीन जाकर विदेश मंत्री कुरैशी ने अपनी झोली फैलाई होगी लेकिन चीन भी आखिर कब तक पाकिस्तान की झोली भरते रहेगा ? वह कश्मीर के सवाल पर पाकिस्तान का दबी जुबान से पक्ष इसलिए लेता रहता है कि उसे पाकिस्तान ने अपने ‘आजाद कश्मीर’ का मोटा हिस्सा सौंप रखा है। वह लद्दाख के भी केंद्र-प्रशासित क्षेत्र बन जाने से चिढ़ा हुआ है। पाकिस्तान के नेता यह क्यों नहीं सोचते कि चीन अपने स्वार्थ के खातिर उसे चने के पेड़ पर चढ़ाए रखता है ? राजीव गांधी के जमाने में जब भारत-चीन संबंध सुधरने लगे थे, तब यही चीन कश्मीर पर तटस्थ होता दिखाई देने लगा था। सबको पता है कि दुनिया की कोई ताकत डंडे के जोर पर कश्मीर को भारत से नहीं छीन सकती। हां, पाकिस्तान बातचीत का रास्ता अपनाए तथा आक्रमण और आतंकवाद का सहारा न ले तो निश्चय ही कश्मीर का मसला हल हो सकता है। वास्तव में कश्मीर तो पाकिस्तान के पांव की बेड़ी बन गया है। इसके कारण पाकिस्तान का फौजीकरण हो गया है। गरीबों पर खर्च करने की बजाय सरकार हथियारों पर पैसा बहा रही है। उसके आतंकवादी जितनी हत्याएं भारत में करते हैं, उससे कहीं ज्यादा वे पाकिस्तान में करते हैं। पाकिस्तान, जो कभी भारत ही था, वह दूसरे देशों के आगे कब तक झोली फैलाता रहेगा ?

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