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राम मंदिर केस में अब कोई सुनवाई नहीं, मामला ख़तम : सुप्रीम

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अयोध्या को लेकर आए फैसले के खिलाफ दायर सभी 18 पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है। पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। जस्टिस खन्ना को छोड़कर बाकी सदस्य मामले में फैसला देने वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे। कोर्ट ने पिछले महीने ही अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था। जिसके बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले के खिलाफ याचिका दायर की, वहीं निर्मोही अखाड़े ने भी रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी।
उसने फैसले के खिलाफ नहीं बल्कि शैबियत राइट्स, कब्जे और लिमिटेशन के फैसले पर याचिका दाखिल की थी। उधर, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस पीठ की अध्यक्षता सीजेआई बोबडे कर रहे थे जबकि पीठ के सदस्यों में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण, एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना शामिल हैं। बता दें कि अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले वाली पीठ में जस्टिस बोबड़े, डी वाई चंद्रचूड़ और अब्दुल नजीर भी शामिल रहे हैं।
तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले महीने सर्वसम्मत फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि की डिक्री ‘राम लला विराजमान’ के पक्ष में की थी। इसके साथ ही राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ हो गया। उन्होंने इसके साथ ही अयोध्या में ही मस्जिद निर्माण के लिये उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया था।

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