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भारत को कश्मीर के विकास के लिए रोडमैप तैयार करना चाहिए : अमेरिका

अमेरिका ने कहा कि अब कश्मीर की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति सामान्य हो चुकी है। ऐसे में भारत को कश्मीर के विकास के लिए रोडमैप तैयार करना चाहिए। अमेरिका ने भारत से यह भी कहा कि अब उसे कश्मीर के राजनीतिक बंदियों को भी रिहा कर देना चाहिए। पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए अमेरिका ने कहा कि वह कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश में लगे आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के खत्म होने के बाद से ही सरकार ने एतियातन नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और अलगाववादी नेताओं को हिरासत में ले लिया था। अमेरिका की दक्षिण-मध्य एशिया मामलों की सहायक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने कहा है कि हम राज्य में रोजमर्रा की सेवाओं की बहाली और राजनीतिक बंदियों की रिहाई के लिए भारत से बात कर रहें है।
लेकिन, उससे भी ज्यादा जरुरी वहां की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति की बहाली के लिए रोडमैप का तैयार होना है। विदेश विभाग के मुख्यालय से पत्रकारों से बात करते हुए वेल्स ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने और राजनीतिक नेताओं को हिरासत में न रखने के बाद से वहां के लगभग 80 लाख लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हुई है। वेल्स ने यह भी कहा कि घाटी की स्थिति को लेकर अमेरिका चिंतित है। हमने कुछ बदलाव देखें हैं जैसे पिछले दिनों घाटी में 40 लाख लोगों के लिए पोस्टपेड मोबाइल सेवा बहाल की गई लेकिन एसएमएस और इंटरनेड सेवा अभी भी प्रतिबंधित है। श्रीनगर के अधिकारियों का कहना है केंद्र के अनुच्छेद 370 हटाकर राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने का अपना फैसला सुनाए जाने के कुछ घंटे पहले तक घाटी में इंटरनेट सेवाएं जारी रखी गईं थी।
लेकिन, पांच अगस्त से मोबाइल और लैंडलाइन टेलीफोन सेवाओं के साथ-साथ इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गईं थी। हालात सामान्य होने के बाद लैंडलाइन टेलीफोन सेवाओं को धीरे-धीरे बहाल कर दिया गया है। स्टपेड मोबाइल सेवाओं को भी पिछले सप्ताह ही बहाल किया गया था, लेकिन प्रीपेड सेवाएं अभी भी बंद हैं। इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक बार फिर कहा कि अगर दोनों देश चाहें तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मामले पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने एक सवाल के जवाब में कहा, वह (ट्रंप) निश्चित तौर पर मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार हैं, अगर दोनों देशों ने इसकी मांग की तो। बाहरी मदद लेना भारत का निर्णय होगा।

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