अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार को झटका लगा है। रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया है। फिच ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट के कारण कर्ज देने में कमी से आर्थिक वृद्धि दर छह साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है।
फिच ने इस साल जून में 2019-20 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कंपनी कर की दरों में कटौती समेत सरकार के हाल के उपायों से धीरे-धीरे आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी। फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष (2020-21) में जीडीपी वृद्धि दर 6.2 फीसदी तथा उसके अगले वित्त वर्ष में 6.7 फीसदी रहने की संभावना है। भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में घअकर 5 फीसदी पर आ गई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 8 फीसदी थी। यह 2013 के बाद किसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर का न्यूनतम स्तर है।
फिच ने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था में कमजोर व्यापक है। घरेलू व्यय के साथ विदेशों से भी मांग कमजोर हो रही है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट के कारण कर्ज उपलब्धता में कमी से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा है। गौरतलब है कि इस महीने की शुरूआत में मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर अनुमान 6.2 फीसदी से घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया था। उसका कहना था कि विभिन्न दीर्घकालीन कारणों से अर्थव्यवस्था में नरमी है।
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