कर्नाटक की राजनीति में बीजेपी को न सिर्फ उतार-चढ़ाव से फायदा है, बल्कि यह खुद गठबंधन की सरकार में अस्थिरता की उम्मीद लगाकर बैठी है । जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार गिराने की अपनी ही डेडलाइन्स तक ऐसा करने में नकाम रही बीजेपी अब भी हार मानने को तैयार नहीं है । वह गठबंधन में हलचल पैदा करने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहती और कथित रूप से एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार को बहुत जल्द गिराने वाली है । बीजेपी के कई बड़े नेताओं को इस अस्थिरता को लेकर उम्मीद है और वह इसे लेकर आशावादी है । वहीं कई कांग्रेस विधायक मनमुटाव की स्थिति में तो कई अलग अलग कारणों से चिंतित है । कांग्रसे शीर्ष नेतृत्व भी उनकी शंकाओं व समस्याओं को लेकर निश्चिंत दिख रहा है जबकि राजनीतिक परिदृश्य गठबंधन में दरार की ओर इशारा कर रहा है । कई विधायक बीजेपी नेताओं के संपर्क में हैं, ऐसा भी कहा जा रहा है । कांग्रेस के कई विधायक भी जेडी और कांग्रेस गठबंधन सरकार की लिंगायत विरोधी और उत्तरी कर्नाटक विरोधी छवि के चलते चिंतित है । हालांकि कुमारस्वामी ने बेलगावी को राज्य की सेकंड कैपिटल बनाने और सुवर्ण विधान सौध को पूरी तरह कार्यान्वित करने का आश्वासन दिया था लेकिन यह भी सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया ।
इस डर से कि यह कदम राजनीतिक संभावनाओं पर नकारात्मक असर डालेगा, कई विधायक, खासकर लिंगायत बहुत विधानसभा क्षेत्रों के विधायक कथित रुप से बीजेपी नेताओं से संपर्क में है । कई कांग्रेस मंत्री औ विधायक इस बात से नाराज हैं कि देवगौड़ा परिवार के हाथ में ज्यादा नियंत्रण है और इसी तरह पीडबल्यूडी मंत्री एचडी रेवना भी अन्य विभागों में हस्तक्षेप कर रहे है । जिला स्वास्थ्य अधिकारी से लेकर तहसीलदार स्तर तक कई ट्रांसफर व नियुक्तियां अप्रत्यक्ष रूप से इससे प्रभावित हो रही है ।
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