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आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी देने की तैयारी

देश की आजादी के बाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है, जब किसी महिला कैदी को फांसी पर लटकाया जाएगा। मथुरा जेल में महिला को फांसी देने की तैयारियां चल रही हैं। फांसी की तारीख तय होना बाकी है। मथुरा जेल में बंद अमरोहा की रहने वाली शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है, जिसके बाद मथुरा स्थित यूपी के इकलौते महिला फांसीघर में शबनम को मौत की सजा दी जाएगी। यह व्यवस्था ब्रिटिशकालीन है। निर्भया के आरोपियों को फांसी पर लटकाने वाले मेरठ के पवन जल्लाद भी दो बार फांसीघर का निरीक्षण कर चुके हैं।
अमरोहा की रहने वाली शबनम ने अप्रैल 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने 7 परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी। अमरोहा ज़िले का बावनखेड़ी गांव 15 अप्रैल 2008 को गांव की एक लड़की की चीख पुकार सुनकर लोग इक्ट्ठा हुए। गांव के लोग जब घर पहुंचते हैं तो परिवार के 7 लोगों का खून से लथपथ शव जमीन पर पड़े मिलते हैं। ऐसे में 25 साल की शबनम चीख-चीखकर लोगों को बताती है कि लुटेरों ने लूट के लिए उसके परिवार को मारकर चले गए। मौके पर पहुंची पुलिस के शबनम की बातें हजम नहीं हुई तो उन्होंने इस मामले में गहराई से जांच की।
बस फिर क्या था पूरी कहानी पुलिस के सामने आई।पुलिस के अनुसार 25 साल की शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पूरी घटना को अंजाम दिया। दरअसल, पोस्टग्रेजुएट और पेशे से शिक्षक शबनम को पांचवीं पास सलीम से प्यार हो गया था। परिवार वालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। इसी बीच शबनम गर्भवती हो गई। फिर दोनों ने मिलकर परिवार को खत्म करने की योजना बनाई। 15 अप्रैल, 2008 की रात शबनम ने खाने में कुछ मिलाया और जब सब बेहोशी की नींद सो गए तो उसने एक-एक कर कुल्हाड़ी से सबको मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने जांच के क्रम में जब शबनम की कॉल डिटेल निकाली तो उसके सलीम से बात होने की पुष्टि हो गई। शबनम से जब कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने सब उगल दिया।

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