सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह लाखों होम बायर्स की दिक्कतों को दूर करने के लिए एक यूनिफॉर्म प्रस्ताव लेकर आए । ये होम बायर्स बिल्डर्स को मोटी रकम दे चुके हैं, लेकिन इन्हें फ्लैट का पजेशन नहीं मिल पाया है । सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की । अदालत ने कहा कि यह मामला लाखों फ्लैट बायर्स से संबंधित है और केंद्र सरकार को सबके लिए एक प्रस्ताव लेकर आना चाहिए कि इस परेशानी से उन्हें कैसे निजात मिलेगा ।
जस्टिस एएम. खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि पैसे देने के बावजूद फ्लैट नहीं मिल रहे हैं और यह मामला लाखों बायर्स से जुड़ा है । अदालत ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल से कहा, यह मुद्दा लाखों होम बायर्स के लिए परेशानी का सबब है । इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्टसी कोड के दायरे में हम कुछ नहीं कर सकते लेकिन इस दायरे से बाहर आप (केंद्र) कुछ सुझाव लेकर आएं, जिसपर हम विचार कर सकते हैं । सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम केंद्र सरकार से ऐसा सुझाव चाहते हैं जिसमें तमाम मामलों के लिए एक जैसा समाधान हो । आप होम बायर्स की समस्या के निदान के लिए सुझाव लेकर आएं हम विचार करेंगे । सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि जेपी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया की समय सीमा खत्म हो जाने के बावजूद मामले को परिसमापन के लिए न भेजा जाए । याचिका में कहा गया है कि इससे हजारों मकान खरीदारों को ऐसी क्षति होगी, जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी । अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में उचित फोरम ही जवाब दे सकता है ।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से कहा, क्या केंद्र सरकार कोई और सुझाव दे सकती है । मौजूदा प्रक्रिया को बिना अवरोध पहुंचाए आप सुझाव लेकर आएं । हम बेसब्री से आपका सुझाव देखना चाहते हैं । नीतिगत मुद्दे को केंद्र सरकार ही सुलझा सकती है ।