किसानों के मुद्दे पर सालभर से मौन नवजोत सिंह सिद्धू अब मैदान में उतर आए हैं। लोकसभा में पारित दो विवादास्पद कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने भी आवाज उठाई है। सिद्धू ने एक के बाद एक दो ट्वीट किए। पहले ट्वीट में लिखा, “सरकारें तमाम उम्र यही भूल करती रही, धूल उनके चेहरे पर थी, आईना साफ करती रही”। दूसरा ट्वीट उन्होंने पंजाबी में किया। इसमें उन्होंने लिखा, ”किसान पंजाब की आत्मा है। शरीर के घाव ठीक हो जाते हैं, लेकिन आत्मा के नहीं। हमारे अस्तित्व पर हमला बर्दाश्त नहीं है। युद्ध का बिगुल बजाते हुए क्रांति को जीते रहो। पंजाब, पंजाबी और हर पंजाबी किसान के साथ है”। कृषि से जुड़े विधेयकों का पंजाब में काफी विरोध हो रहा है क्योंकि किसान और व्यापारियों को इससे एपीएमसी मंडियां समाप्त होने की आशंका है। यही कारण है कि प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने कृषि विधेयकों का विरोध किया है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि से जुड़े विधेयकों के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गुरुवार को लोकसभा में कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 का विरोध किया। इसके बाद मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का घटक अकाली दल ने कृषि से जुड़े विधेयकों को किसान विरोधी बताया है। एसएडी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ”देश के कुछ राज्यों ने आईटी सेक्टर का विकास किया तो कुछ ने पर्यटन का विकास किया, लेकिन पंजाब ने कृषि का बुनियादी ढांचा तैयार किया है। इस विधेयक से पंजाब के किसानों, आढ़तियों, व्यापारियों और मंडी में काम करने वाले मजदूरों से लेकर खेतिहर मजदूरों को नुकसान होगा”।