भगवान जगन्नाथजी, बहन सुभद्राजी और भाई बलराम (भांजा-भांजी) ननिहाल से आज जमालपुर के निजमंदिर में वापस आये थे, तब मंदिर के महंत, साधु-संतों और भक्तों ने भगवान के दर्शन करने के लिए उत्साहित थे । सुबह ८ बजे भगवान का दर्शन खुला रखा गया था उस समय में श्रद्धालुओं ने भगवान का दर्शन करने के लिए हौड़ मच गई थी । सुबह में ९.३० बजे भगवान की पारंपरिक नेत्रोत्सव विधि आयोजित हुई थी, उस समय में मंदिर में भक्ति का माहौल छाया था । १५ दिन ननिहाल, सरसपुर में रहने के बाद भगवान निजमंदिर में वापस आते समय भक्तों में बहुत उत्साह दिखाई दे रहा था । मंदिर में जयन्नाथ, जय रणछोड-माखणचोर के नारे से गूंज उठा था । शहर सहित राज्यभर में सर्वत्र अच्छी बारिश के लिए इन्द्रदेव को प्रार्थना की गई थी । रथयात्रा के १५ दिन पहले भगवान जगन्नाथजी, बहन सुभद्राजी और भाई बलराम सरसपुर के ननिहाल रणछोडजी मंदिर में गये थे और ननिहाल में १५ दिन ठहरने के बाद आज भांजा-भांजी निजमंदिर में वापस आये थे । आज सुबह में जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीपदासजी महाराज और ट्रस्टी महेन्द्र झा सहित अन्य संतों-महंतों की उपस्थिति में पूजा विधि के साथ भगवान जगन्नाथजी, बहन सुभद्राजी और भाई बलराम का गर्भगृह में प्रवेश कराया गया था और उनका दर्शन लोगों के लिए खुला रखा गया था ।भगवान के दर्शन के लिए प्रातःकाल सुबह में भीड़ जमाकर बैठे भक्तों में उत्साह देखने को मिलता था ।मंदिर में भक्तों के जय जगन्नाथ, जय रणछोड-माखणचोर के नारे से गूंज उठा था । उस समय में मंदिर में भक्ति का माहौल छाया था । ९.३० बजे भगवान को आंखों में पट्टी बांधकर नेत्रोत्सव विधि की गई थी । जिसमें भगवान जगन्नाथजी, बहन सुभद्राजी और भाई बलराम को आंखों पर पट्टी बांधा गया था । इसके साथ-साथ रथयात्रा के लिए भगवान की आंख जल्दी से ठीक हो जाए ऐसी प्रार्थना की थी । उसके बाद मंदिर में ध्वजारोहण विधि आयोजित हुई थी । जिसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतु वाघाणी और मेयर गौतम शाह सहित के अग्रणियों ने हिस्सा लिया था । सुबह में १० बजे पूजा और आरती की गई थी उसके बाद ११.३० बजे साधु-संतों के लिए भंडारा का आयोजन किया गया था । जिसमें हरिद्वार, अयोध्या, नासिक, उज्जैन, जगन्नाथपुरी और सौराष्ट्र सहित के क्षेत्रो से पहुंचे साधु-संतो और महंतों को प्रेमपूर्वक भोजन कराकर उनको दान-दक्षिणा देकर उनका सम्मान किया गया था ।