पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम रखने और मतभेदों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने की कोशिशों का असर अब दिखता हुआ दिखाई दे रहा है। चीन ने अब 10 भारतीय जवानों को रिहा कर दिया है, जिन्हे हिसंक झड़प के दौरान पकड़ लिया गया था। चीन ने दो अधिकारियों समेत 10 सैनिकों को वीरवार शाम भारतीय पक्ष में वापस लौटा दिया है। हमले की रात के बाद चीन ने योजनाबद्ध तरीके से हुए जवानों को कैद कर लिया था, उन्हें 18 जून की शाम 5:30 बजे वापस पेट्रोलिंग पॉइंट 14 में भेज दिया गया। हालांकि अधिकारिक तौर पर इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
वीरवार को दोहराया था कि भारत सीमा पर शांति बनाये रखने एवं मुद्दों का संवाद के माध्यम से समाधान करने के पक्ष में हैं लेकिन भारत की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता की सुरक्षा को लेकर द्दढ़ प्रतिज्ञ है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि पन्द्रह जून की रात में दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई क्योंकि चीनी पक्ष ने एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने की कोशिश की। दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए। यदि चीनी पक्ष उच्च स्तर पर हुए समझौते का पालन करता तो इससे बचा जा सकता था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीमा प्रबंधन को लेकर जिम्मेदारी निभाते हुए भारत शुरू से बहुत स्पष्ट रहा है कि उसकी सभी गतिविधियां वास्तविक नियंत्रण रेखा के भीतर अपने अधिकार वाले क्षेत्र में ही सीमित हैं। हम चीनी पक्ष से भी यही अपेक्षा करते हैं। वक्त का तकाजा है कि चीनी पक्ष अपने कदमों के बारे में दोबारा सोचे और उसे ठीक करने की कोशिश करे। उन्होंने कहा था कि दोनों पक्षों को छह जून को वरिष्ठ कमांडरों के बीच बनी सहमति को पूरी ईमानदारी से लागू करना चाहिए। दोनों ओर की सेनाओं को सभी द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉलों का पालन तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से सम्मान करना चाहिए और उसे बदलने के लिए एकतरफा ढंग से कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।
પાછલી પોસ્ટ
આગળની પોસ્ટ