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सौराष्ट्र-कच्छ के अधिकांश बांध सूखे :बारिश में विलंब

गुजरात में बांधों के पेंदे दिखने से चिंता बढ गई है । मिली जानकारी के अनुसार सौराष्ट्र-कच्छ के अधिकांश बांध सूख गए हैं । बारिश में विलंब के चलते स्थिति और विकट होने के आसार दिख रहे हैं । उत्तर गुजरात में भी स्थिति ज्यादा ठीक नहीं है । यहां के बांधों में भी १२ फीसदी पानी ही बचा है । मोटा गुजरिया, नारा, मिनसर-५,सोरथी, अडवाना, डेमी-१ वर्तु-२, वेत्रु-२, डोसवाड़ा, हानोल, मालण, बंटवा खारो, भादर, गाजोड, वोडीसंग, सनाद्रो, फोफल-१, फुलझर- केबी, गाजंसर, टप्पर, रामी, मेश्वो, नायका, कालिंदी, हिरण-१, कालिया, बलदेवा, मुक्तेश्वर, सिपू, केलिया, जसपारा मांडवा, सिंघोड़ा, मोज, वारंसी, कासवटी, माथल, खारो, जवानपरा, मच्छू-१, वेणु-२ न्यारी, बागड़, भुखी, घोड़ाध्रोज, धातावाड़ी-२, सबाली, आजी-३, झंझेश्री, मिनसर, कनियाड, रूद्रमाता, वेर-२, द्रापड, ससोई, गोमा, सुखबर, हाथमती, दांतीवाड़ी, थेबी, मुंजीसर, डेमी-२, वेराड़ी, खोड़ापीपर, कालूभार, उबेन बांध में ०.०४ फीसदी से लेकर १२.२४ फीसदी पानी बचा है । जबकि पाटाडुंगरी, धरोई, हरणव- २, कारड़, जंगड़िया, ओजत-२, मच्छू-२, आजी-२, वंसल, भे, फालकू, चोपड़देव, हिरण-२, खेड़वा, दमणगंगा, इडलवाडा, रावल, रायडी, अंबाजल, वेड़ी, फोडरनेस, कबूतरी, शेल-डेडूमल, शेत्रुंजी, पूना, मधुवंती, झुझ, काकड़ी -आंबा, डोंडी, उमरिया, भादर -२ गोरठिया एवं न्यारी-२ बांधों में १ फीसदी से लेकर ७८ फीसदी तक पानी है । सर्वाधिक सूखा प्रभावित सौराष्ट्र-कच्छ इलाके के लगभग सभी बांध सूख गए हैं । उत्तर गुजरात की भी स्थिति ज्यादा ठीक नहीं है । यहां के बांधों में भी बमुश्किल १२ फीसदी पानी ही बचा है, जो कीचड़ के रूप में होने से उपयोग में भी नहीं लिया जा सकता है । मध्य एवं दक्षिण गुजरात में हालात कुछ हद तक अभी ठीक है । सूखा प्रदेश में सुमार गुजरात में पीने एवं सिंचाई के लिए पानी का मुख्य स्त्रोत समान २०३ बांधों में वर्तमान में उपलब्ध पानी की स्थिति पर गौर करें तो ओजल, खंभाल्ला, अमीपुर, करमल, वेरी, करनुकी, आजी-१, लालपरी, छप्परवाडी, मोतीसर, सुरवो, सोडावदर, गंडाल्ली-घेलो-एस, वाछपरी, ईश्वरिया, कबीर, सरोवर, धारी, मालगढ़, निंबानी, लिम-भोगावो, मोर्शल, सबूरी, त्रिवेणी थांगा, वराडी-२, सारण, उटवाडी, लंक, निरुना, बेरचिया, कालाघोड़ा, वड़िया, वाड़ी, संक्रोली, मालपारा,लिंबाली, लाखंका, हमीरपरा, भीमड़, उण्ड-१, सानी, घी, फुलझर, वात्रु-१, विजरखी, उमियासागर, गधाकी, रुपारेल, उण्ड-१, कंकावटी, रंगमती, आजी-४, डेमी-३, फोफल-२, सपाड़ा, सोनमती, सेढाभड़थरी, रूपावटी, उण्ड-३, सिंधानी, कबरका, प्रेमपारा, व्रिजमी एवं ओजत वीयर पूरी तरह सूख गए हैं । मध्य गुजरात के बांधों में ४७ जबकि दक्षिण गुजरात के बांधों में अभी करीब २६ फीसदी पानी है, जो मानसून शुरू होने तक कुछ राहत दे सकता है । इन दोनों इलाकों में नर्मदा नहरों के चलते पानी की वैकल्पिक व्यवस्था भी है ।

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