उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राजनीति में धनबल के इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए गुरुवार को चुनाव सुधार और शासन प्रणाली की जवाबदेही तय करने सहित कारगर कदम उठाने का आह्वान किया। नायडू ने यहां इंडियन डेमोक्रेसी एट वर्क- मनी पावर इन पॉलिटिक्स सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का समर्थन किया और साथ ही कहा कि राजनीतिक पार्टियों को चंदे के स्रोत सहित वित्तीय जवाबदेही से बचना नहीं चाहिए।
उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि वर्ष 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष में समारोह शुरू होने से पहले कुछ प्रभावी कदम उठाए जाएंगे जिससे हमारी राजनीति में धन बल के इस्तेमाल पर रोक लग सके। यह मानते हुए कि धन बल को अकेले चुनाव आयोग नियंत्रित नहीं कर सकता, उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों, नागरिक संगठन, उद्योग जगत और चुनाव सुधार के लिए काम कर रहे संगठनों को वृहद भूमिका निभानी होगी। नायडू ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि मतदाताओं को धन बल के प्रयोग को रोकने के लिए और कुछ हजार रुपये में मत बेचने के खिलाफ अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ सबसे बड़ा नैतिक समझौता है।
उन्होंने कहा कि भ्रष्ट और राजनीतिक व्यवस्था की गुणवत्ता में हो रहे क्षय को रोकने के लिए साहसिक चुनाव सुधार के साथ शासन प्रणाली की जवाबदेही तय करने की भी जरूरत है। नायडू ने कहा कि यह सच्चाई है कि ईमानदार, योग्य निम्न वर्ग के उम्मीदवार के मुकाबले करोड़पति के सांसद या विधायक बनने की संभावना अधिक है।
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