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मराठा आरक्षण : चुनौती देनेवाली सभी याचिकाओ पर SC 2020 में करेगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जनवरी 2020 तक के लिए स्थगित कर दिया है जिसमें मराठाओं को मिले आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। महाराष्‍ट्र में मराठा समुदाय के लोगों को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की कानूनी वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई की। राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी ने राज्‍य सरकार का पक्ष रखने के लिए पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को नियुक्‍त किया था। अब मामले की सुनवाई जनवरी, 2020 में होगी।
आरक्षण के लिए मराठा समाज के संघर्ष के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरियों में 16 फीसदी आरक्षण की व्‍यवस्‍था कर दी। फडणवीस सरकार के फैसले के खिलाफा बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने आरक्षण की कानूनी वैधता को बरकरार रखा, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका के मुताबिक, फडणवीस सरकार ने 16 फीसदी आरक्षण देकर संविधान पीठ की ओर से आरक्षण पर तय 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन किया है। साथ ही आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक दबाव में सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग आरक्षण कानून बनाया गया। एसईबीसी आरक्षण कानून मराठा समुदाय को शिक्षा में 12 और नौकरी में 13 प्रतिशत आरक्षण देता है।
यह शीर्ष अदालत के इंदिरा साहनी मामले में दिए फैसले में तय की गई 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा का उल्लंघन है। यह याचिका गैरसरकारी संगठन ‘यूथ फॉर इक्‍वैलिटी’ के प्रतिनिधि और बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजीत शुक्ला ने दायर की है। इसमें दावा किया गया है कि मराठा समुदाय के लिए बनाया गया एसईबीसी कानून संविधान के समानता और कानून के शासन के सिद्धांतों की अवहेलना करता है।

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