नोटबंदी के तीन साल पूरे होने पर आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि २,००० रुपये के नोट को बंद कर देना चाहिए । उन्होंने दावा किया कि ५०० और १००० रुपये के पुराने नोट की जगह लाए गए २,००० रुपये के नोट की जमाखोरी की जा रही है और इसे बंद कर देना चाहिए । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन साल पहले आज ही के दिन ५०० और १००० रुपये के पुराने नोट को बंद करने की घोषणा की थी । इसका मकसद काले धन पर अंकुश लगाना , डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और देश को लेस – कैश अर्थव्यवस्था बनाना था । पूर्व आर्थिक सचिव गर्ग ने एक नोट में कहा वित्तीय प्रणाली में अब भी काफी मात्रा में नकदी है । २,००० रुपये के नोटों की जमाखोरी इसका सबूत है । पूरी दुनिया में डिजिटल भुगतान का विस्तार हो रहा है । भारत में भी ऐसा ही हो रहा है । हालांकि विस्तार की रफ्तार धीमी है । वित्त मंत्रालय से ट्रांसफर के बाद गर्ग ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी । गर्ग ने कहा कि मूल्य के आधार पर चलन में मौजूद मुद्रा में २,००० रुपये के नोट की एक तिहाई हिस्सेदारी है । उन्होंने दो हजार रुपये के नोट को बंद करने या चलन से वापस लेने की वकालत करते हुए कहा , वास्तव में २,००० रुपये के नोटों का एक अच्छा खासा हिस्सा चलन में नहीं है । इनकी जमाखोरी हो रही है । इसलिए मुद्रा के लेनदेन में २,००० रुपये के नोट ज्यादा नहीं दिखते हैं । गर्ग ने कहा , बिना किसी दिक्कत के इन नोटों को बंद किया जा सकता है । इसका एक आसान तरीका है कि इन नोटों को बैंक खातों में जमा कर दिया जाए । इसका उपयोग प्रक्रिया के प्रबंधन में किया जा सकता है । आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव ने कहा , भुगतान करने के बेहद सुविधाजनक डिजिटल मोड तेजी से नकदी की जगह ले रहे हैं । हालांकि भारत को इस दिशा में अभी लंबी दूरी तय करना है क्योंकि देश में ८५ प्रतिशत से अधिक लेनदेन में अभी भी नकदी की मौजूदगी है ।
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