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नोटबंदी के फरमान को न भूलने देंगे : सोनिया

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार के तीन साल पहले आज ही के दिन लिये गये नोटबंदी के फैसले को ‘तुगलकी फरमान’ बताया और कहा कि इससे कई लोगों की आजीविका छिन गई । उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि देश मोदी सरकार के इस फैसले को न तो कभी भूले और न ही इसके लिए उसे कभी माफ करे । गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने इस गलत फैसले की कभी जिम्मेदारी नहीं ली जिसने १२० से अधिक लोगों की जान ले ली और यह भारत के मध्यम और छोटे व्यापार को तबाह करने वाला साबित हुआ । गांधी ने एक बयान में कहा, मोदी सरकार इस ऊटपटांग और बिना सोचे समझे उठाये गए कदम की जिम्मेदारी से बचने का चाहे जितना भी प्रयास कर ले, देश की जनता यह सुनिश्चित करेंगी कि इसके लिये उसे जवाबदेह ठहराया जाये । उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने २०१७ के बाद नोटबंदी के बारे में बोलना बंद कर दिया है और वह उम्मीद कर रहे हैं कि देश इसे भूल जाएगा । यह उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि न तो देश और न ही इतिहास इसे भूले या माफ करे । ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा के उलट हम राष्ट्रहित में कार्य करते हैं ।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी संभवतः भाजपा के बिना सोचे समझे शासन मॉडल का सबसे सटीक प्रतीक है । यह निरर्थक उपाय था जिसको लेकर दुष्प्रचार किया गया और इसने बेगुनाह देशवासियों को भारी नुकसान पहुंचाया । गांधी ने याद किया कि आठ नवम्बर २०१६ को प्रधानमंत्री मोदी ने एक व्यापक प्रभाव वाले कदम के तहत ५०० रुपये और १००० रुपये के नोट चलन से बाहर कर दिये थे और देश से कालाधन, जाली नोट समाप्त करने और आतंकवाद एवं नक्सलवाद से छुटकारा दिलाने का वादा किया था । उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने उच्चतम न्यायालय से भी कहा था कि ३,००,००० करोड रुपये के कालाधन से छुटकारा मिल जाएगा क्योंकि यह फिर से चलन में नहीं आयेगा । उसके बाद प्रधानमंत्री ने नकदी का इस्तेमाल कम करने और इसके स्थान पर डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का उद्देश्य भी जनता के सामने रखा था ।
उन्होंने कहा, तीन वर्ष बाद प्रधानमंत्री मोदी इन मोचोर्ं पर असफल रहे हैं । कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आरबीआई ने इसकी पुष्टि की है कि ५०० रुपये और १००० रुपये के जो नोट चलन से बाहर हुए थे उनमें से ९९.३ प्रतिशत नोट वापस बैंकों में पहुंच चुके हैं और कोई फायदा नहीं हुआ । नकली नोटों की बात कोरी साबित हुई और ऐसे बहुत मामूली प्रतिशत नोट ही चलन में थे (यह जानकारी भी रिजर्व बैंक ने ही दी) ।

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