भारत के नेतृत्व में साउथ एशिया वैश्विक विकास का केंद्र बन रहा है और २०४० तक विश्व की विकास दर में इसका योगदान एक तिहाई होगा । इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है । आईएमएफ के मुताबिक साउथ एशिया में भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव आते है । दक्षिण एशिया में युवाओं की बड़ी वर्कफोर्स होने की वजह से विकास की गति तेज हो रही है । सोमवार को नई दिल्ली में एक सस्टेनेबल अजेडा जारी किया गया । आईएमएफ में एशिया और पसिफिक डिपार्टमेंट की डेप्युटी डायरेक्टर एनी मारी ने कहा, विकास की गति की बात करें तो साउथ एशिया बाकी एशिया की तुलान में कहीं तेजी से वैश्विक विकास का केंद्र बनने की तरफ बढ़ रही है । आईएमएफ के मुताबिक २०३० तक इस क्षेत्र के १५ करोड़ से ज्यादा लोग काम करने योग्य हो जाएंगे । उन्होंने कहा, हमारे पास एक विशाल क्षमता वाला क्षेत्र है । पिछले दिनों यहां विकास की तेज गति देखी गयी है । यह युवा वर्कफोर्स दक्षिण एशिया की ताकत बन सकती है । इशकी दूसरी वजह राजस्व में बढ़ोतरी, व्यापार के मामले में उदारीकरण और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलना है । एनी मारी ने कहा कि भारत विकास के रास्ते में आने वाली दिक्कतों को कम करने में सक्षम है । आईएमएफ सस्टेनेबल ग्रोथ चाहता है जो कि केवल आर्थिक न हो बल्कि उस क्षेत्र के लोगो को साथ में लेकर चले । इस लिहाज से भारत में आईएमएफ को संभावनाएं नजर आ रही है ।
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