अभिनेत्री मंजरी फडनिस ने अपनी पेशेवर जिंदगी में उतार-चढ़ाव दोनों देखे हैं। उनका कहना है कि असफलता ने उन्हें कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाए हैं। मंजरी 2008 की हिट फिल्म ‘जाने तू.. या जाने ना’ के लिए जानी जाती हैं, लेकिन उन्होंने ‘रोक सको तो रोक लो’ और ‘मुंबई सालसा’ में भी काम किया है।
मंजरी ने बताया, असफलता ने मुझे संतुलन बनाए रखना सिखाया है। इसने मुझे बड़ी सफलता मिलने के समय में भी विनम्र रहना और वास्तवकिता में जीना सिखाया, जब बाकी सब कुछ सपने जैसा मालूम पड़ता था। कुछ भी हमेशा नहीं रहता न सफलता और न ही असफलता। उन्होंने 2013 की फिल्म ‘ग्रैंड मस्ती’ से फिर सफलता का स्वाद चखा।
‘ग्रैंड मस्ती’ के बाद उनकी पिछली हिट फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं’ (2015) थी, जो कई कलाकारों वाली फिल्म थी। मंजरी की लघु फिल्म ‘खामखा’ ने फिल्फेयर अवॉर्ड भी जीता। फिल्म ‘बरोट हाउस’ की अभिनेत्री ने कहा कि उन्होंने जो भी प्रोजेक्ट किए हैं, उनमें से किसी को लेकर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है।
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