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J&K में पर्यटकों पर लगी रोक आज से हटी, सरकार ने जारी की एडवाइजरी

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने गुरुवार से पर्यटकों पर जम्मू-कश्मीर जाने की रोक हटा दी। राज्य में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद एहतियातन राज्य में पर्यटकों की आवाजाही बंद कर दी गई थी, जिसे आज एक बार फिर से शुरू कर दिया गया। जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने इस संबंध में एक सुरक्षा एडवाइजरी भी जारी की है जिसमें कहा गया कि राज्य में जाने के इच्छुक पर्यटकों को सभी आवश्यक सहायता और रसद सहायता प्रदान की जाएगी। 7 अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक बुलाई गई थी जिसमें यह निर्णय लिया गया कि 10 अक्तूबर से पर्यटकों से जुड़ी एडवाइजरी को हटा दिया जाएगा। पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों ने इस कदम का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि इस घोषणा के बाद और अधिक पर्यटक घाटी आएंगे।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आर्टिकल 370 खत्म किए जाने के बाद से हिरासत में लिए गए तीन नेताओं को गुरुवार को रिहा कर दिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन को विभिन्न आधारों पर रिहा किया गया है। मीर राफियाबाद विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रह चुके हैं, जबकि लोन ने कांग्रेस के टिकट से उत्तर कश्मीर से चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बाद में कांग्रेस छोड़ दी थी। उन्हें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन का करीबी माना जाता है। नूर मोहम्मद नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकर्ता हैं।
रिहा किए जाने से पहले नूर मोहम्मद एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर शांति बनाए रखने एवं अच्छे व्यवहार का वादा करेंगे। इससे पहले राज्यपाल प्रशासन ने पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के इमरान अंसारी और सैयद अखून को स्वास्थ्य कारणों से 21 सितंबर को रिहा किया था। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के बाद नेताओं, अलगाववादियों, कार्यकर्त्तार्ओं और वकीलों समेत हजार से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था। इनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री- फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं। करीब 250 लोग जम्मू-कश्मीर के बाहर जेल भेजे गए। फारुक अब्दुल्ला को बाद में लोक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया जबकि अन्य नेताओं को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत हिरासत में लिया गया।

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