सितंबर महीना बीतने के बाद भी उत्तर भारत के कई इलाकों में बारिश जारी है और नदियां उफान पर हैं । सामान्य तौर पर आधे सितंबर के बाद इतनी ज्यादा बारिश नहीं देखी जाती है । मौसम विभाग के मुताबिक इस बार बारिश ने पिछले २५ साल का रेकॉर्ड तोड़ दिया है । इससे पहले १९९४ में इतनी बारिश हुई थी । मौसम विभाग के कुल ३६ सब डिविजन्स में १२ में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई जबकि १९ में नॉर्मल बारिश रेकॉर्ड हुई । इस बार देश में ८८ सेंटीमीटर बरसात रेकॉर्ड की गई है । बता दें कि अब भी उत्तर प्रदेश और बिहार में बारिश की वजह से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं और दोनों राज्यों में बारिश के कारण लगभग १२९ लोगों की मौत हो गई है । दक्षिण-पश्चिम भारत की बात करें तो इस बार १० अक्टूबर तक बारिश होने की संभावना है जबकि सामान्य तौर पर यहां १ सितंबर के बाद भारी बारिश नहीं होती है । २००७ में ३० सितंबर तक बारिश हुई थी लेकिन इस बार १९६१ के बाद पहली बार इतने ज्यादा दिनों तक बारिश देखी जा रही है । १९६१ में भी मॉनसून के लौटने की तारीख १ अक्टूबर थी । इस बार बरसात के मौसम में उत्तर-पूर्व, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा । अब भी गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार बाढ़ के हालात से जूझ रहे हैं । १९९४ के बाद इस साल बारिश का लॉन्ग पीरियड एवरेज (रुक्कन्) सामान्य का ११०÷ है । २००१ के बाद नॉर्थ ईस्ट में इस बार इतनी बारिश देखी गई है । हालांकि २००७ में भी उत्तर-पूर्व में भारी बारिश हुई थी । १९९६ के बाद पहली बार अगस्त में इतनी बारिश हुई है । इसके अलावा १९१७ के बाद सितंबर में दूसरी बार इस कदर बरसात देखी गई । मौसम विभाग के मुताबिक जुलाई और अगस्त में हुई बरसात अनुमान से ढाई गुना ज्यादा है । इस बार मौसम विभाग ने केरल तट पर मॉनसून पहुंचने की तारीख ६ जून बताई थी जबकि यह आठ जून को तट पर पहुंचा था ।
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