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जरूरत पड़ी तो खुद जम्मू-कश्मीर जाऊंगा : सीजेआई

आर्टिकल ३७० से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की । उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोग अगर हाईकोर्ट में अपील नहीं कर पा रहे हैं तो यह गंभीर मामला है । उन्होंने कहा कि वह खुद हाईकोर्ट के जज से फोन पर बात करेंगे और संतुष्ट नहीं हुए तो निजी तौर पर प्रदेश का दौरा करेंगे । दरअसल, बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली ने जम्मू-कश्मीर की जेलों में बंद १८ साल से कम उम्र के बच्चों की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया । उन्होंने संबंधित उन केसों की जानकारी मांगी जिन्हें हाईकोर्ट कमिटी देख रही है । चीफ जस्टिस ने कहा कि इसके लिए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में अपील करें । इस पर इनाक्षी की ओर से वरिष्ठ वकील हुसेफा अहमदी ने कहा, ऐसा करना बेहद मुश्किल है । हाईकोर्ट आम आदमी की पहुंच से दूर है । याचिकाकर्ता के वकील की इस टिप्पणी पर चीफ जस्टिस ने कहा कि यह बेहद गंभीर है अगर लोग हाईकोर्ट में अपनी अपील नहीं कर पा रहे हैं । चीफ जस्टिस ने इस पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से रिपोर्ट भी मांगी । इसमें उन्होंने पूछा कि हाईकोर्ट अपीलकर्ताओं की पहुंच में है या नहीं सीजेआई ने आगे कहा, यह बेहद गंभीर मामला है । मैं खुद निजी तौर पर फोन पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से बात करूंगा । जरूरत पड़ी तो प्रदेश का दौरा करूंगा । हालांकि, सीजेआई ने याचिकाकर्ता को चेतावनी भी दी और कहा कि अगर आपका दावा गलत निकला तो इसका परिणाम भी आपको भुगतना होगा । आज जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई ।चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते में कश्मीर की पूरी तस्वीर सामने रखने का निर्देश दिया है । सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि राज्य में जल्द से जल्द सामान्य हालात बनाए जाएं । कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्थिति सामान्य की जाए और स्कूलों व अस्पतालों को फिर से शुरू किया जाए । इस मामले की अगली सुनवाई अब ३० सितंबर को होगी ।

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