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नॉर्थ ईस्ट काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे अमित शाह

असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की पहली लिस्ट जारी होने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहली रविवार को पहली बार राज्य के दौरे पर पहुंचे । नॉर्थ ईस्ट काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद ३७१ का भारतीय संविधान में विशेष स्थान है और बीजेपी सरकार इसका सम्मान करती है । अमित शाह ने कहा, भारतीय संविधान में अनुच्छेद ३७१ का विशेष प्रावधान है और बीजेपी सरकार इसका सम्मान करती है । बीजेपी सरकार इसमें किसी भी तरह कोई बदलाव नहीं करेगी । केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद ३७० अस्थायी प्रावधानों के संदर्भ में था जबकि अनुच्छेद ३७१ विशेष प्रावधानों के संदर्भ में है, दोनों के बीच काफी अंतर है । उन्होंने कहा, महाभारत के युद्ध के अंदर बब्रूवाहन हो या घटोत्कच हो, दोनों नॉर्थ ईस्ट के थे । अर्जुन की शादी भी यहीं मणिपुर में हुई थी । श्रीकृष्ण के पोते का ब्याह भी नॉर्थ ईस्ट में हुआ था । बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद ३७० के खात्मे के बाद उसके क्लोन अनुच्छेद ३७१ के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं । अनुच्छेद ३७१ के कई प्रावधानों के तहत संपत्ति खरीदना बाकी भारतीयों के लिए मुमकिन नहीं है । सविंधान के अनुच्छेद ३७० की तरह से अनुच्छेद ३७१ को भी २६ जनवरी, १९५० को लागू किया गया था । अनुच्छेद ३७१ नॉर्थ ईस्ट ६ राज्यों समेत भारत के ११ राज्यों में लागू है । संविधान के अनुच्छेद ३७१न् के तहत ऐसे किसी भी व्यक्ति को नागालैंड में जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है, जो वहां के स्थायी नागरिक नहीं हैं । यहां जमीनें सिर्फ राज्य के आदिवासी ही खरीद सकते हैं । भारतीय संघ में सबसे आखिर में साल १९७५ में शामिल हुए सिक्कम को भी संविधान में कई अधिकार हैं । आर्टिकल ३७१स्न ने राज्य सरकार को पूरे राज्य की जमीन का अधिकार दिया है, चाहे वह जमीन भारत में विलय से पहले किसी की निजी जमीन ही क्यों न रही हो । दिलचस्प बात यह है कि इसी प्रावधान से सिक्कम की विधानसभा चार साल की रखी गई है जबकि इसका उल्लंघन साफ देखने को मिलता है । यहां हर ५ साल में ही चुनाव होते हैं । यही नहीं, आर्टिकल ३७१स्न में यह भी कहा गया है, किसी भी विवाद या किसी दूसरे मामले में जो सिक्किम से जुड़े किसी समझौते, एन्गेजमेंट, ट्रीटी या ऐसे किसी इन्स्ट्रुमेंट के कारण पैदा हुआ हो, उसमें न ही सुप्रीम कोर्ट और न किसी और कोर्ट का अधिकारक्षेत्र होगा ।

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