भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि इसके प्रस्तावित मोबाइल ऐप्लिकेशन के लिए इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होगी। यह ऐप नोटों की पहचान करने में दृष्टिबाधितों की मदद करेगा। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ को रिजर्व बैंक के अधिवक्ता वेंकटेश ढोंड ने बताया कि ऐप का बीटा संस्करण एक नवंबर को शुरू किया जाएगा।
ढोंड ने बताया, संबंधित पक्षों से फीडबैक प्राप्त होने के बाद इसका अंतिम संस्करण जारी किया जाएगा। इस ऐप के लिए इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होगी। कश्मीर में संचार प्रतिबंधों का जिक्र करते हुए अदालत ने यह जानने की कोशिश की कि रिजर्व बैंक का प्रस्तावित ऐप किस तरह से दृष्टिबाधित लोगों को ऐसी स्थितियों में करेंसी नोटों की पहचान करने में मदद करेगा।
अदालत नैशनल असोसिएशन ऑफ द ब्लाइंड (एनएबी) की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह दावा किया गया था कि केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए नए नोटों और सिक्कों की पहचान करने और उन्हें अलग करने के मामले में दृष्टिबाधित लोगों को कठिनाई होती है। खंडपीठ को केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया कि 20, 10, दो और एक रुपये के नए सिक्कों में विशेष चिह्न बने हुए हैं जिससे दृष्टिबाधित लोगों को इसकी पहचान करने में मदद मिलेगी। अदालत को बताया गया कि ये नए सिक्के इस साल नवंबर में बाजार में चलन में आएंगे।
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