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सऊदी अरब से भारतीय चावल निर्यातकों को 4 महीने की राहत

भारतीय चावल निर्यातकों पर सऊदी अरब के कड़े नियम अब 31 दिसंबर से प्रभावी होंगे। इससे भारतीय चावल निर्यातकों को फौरी राहत मिल गई है। सऊदी फूड ऐंड ड्रग अथॉरिटी (SFDA) ने भारतीय निर्यातकों से मिनिमम रेजिड्यू लेवल्स (MRL) टेस्ट रिपोर्ट के साथ उसका पालन करने का सर्टिफिकेट देने की मांग की थी। ये नियम पहले 1 सितंबर से प्रभावी होने वाले थे, जिन्हें अब दिसंबर तक टाल दिया गया है। सऊदी की फूड अथॉरिटी ने भारतीय निर्यातकों से बासमती चावल के किस्म की प्रामाणिकता के लिए डीएनए टेस्ट की भी मांग की है। उसने निर्यातकों को अथॉरिटी से मंजूरी प्राप्त गुड ऐग्रिकल्चर प्रैक्टिस (GAP)-सर्टिफाइड फार्म से ही चावल खरीदने को कहा है। 
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स असोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया, ‘31 दिसंबर 2019 तक सऊदी अरब पहुंचने वाले शिपमेंट में भारतीय बासमती चावल SFDA के प्रस्तावित नियमों से बाहर होगा।’ उन्होंने कहा कि निर्यातक बासमती के मिश्रण की क्वॉलिटी के हिसाब से लेबल लगाएंगे ताकि अधिक पारदर्शिता लाई जा सके। सेतिया ने कहा, ‘हमने SFDA को भरोसा दिया है कि अगर खेप में 93 फीसदी या 85 फीसदी बासमती चावल है तो हम उसे उसी अनुसार लेबल करेंगे।’ 
सऊदी अरब भारतीय बासमती चावल का प्रमुख खरीदार है। भारत से सालाना 40-45 लाख टन बासमती का निर्यात होता है, जिसमें से 20 फीसदी हिस्सा सऊदी अरब जाता है। सेतिया ने बताया कि इंडियन अथॉरिटीज ने जिन चावल मिलों के पास BIS सर्टिफिकेशन, ISO 22000 और BRC स्टैंडर्ड्स हैं, उन्हें भी बासमती के निर्यात का इजाजत देने का प्रस्ताव रखा है। सऊदी अरब भारत से बासमती चावल के आयात पर हैजर्ड एनालिसिस ऐंड क्रिटिकल कंट्रोल प्वाइंट्स (HACCP) के मानदंडों को आधार बनाएगा। सेतिया ने बताया कि ऐग्रिकल्चर ऐंड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी के निदेशक ए के गुप्ता की अगुआई में सरकार और कारोबारी प्रतिनिधियों ने सऊदी की फूड बॉडी से 29 अगस्त को चर्चा की थी। इसके बाद ही नियमों को लागू करने की तारीख 1 सितंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर की गई। उन्होंने कहा कि एमआरएल पर चर्चा अगले कुछ महीनों में होगी।

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