भले ही तमाम रिपोट्र्स में देश में आर्थिक मंदी की बात की जा रही है, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने इससे साफ इनकार किया है । रविवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया कि देश में मंदी है । यह पूछे जाने पर कि क्या अर्थव्यवस्था मंदी से जूझ रही है, क्या सरकार मंदी की बात स्वीकार कर रही है ? उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब न देते हुए कहा कि मैं उद्योग प्रतिनिधियों से मिल रही हूं और उनकी समस्याएं और सरकार से वे क्या चाहते हैं, इस पर सुझाव ले रही हूं । मैं पहले ही यह दो बार कर चुकी हूं । मैं यह बार-बार करूंगी । वहीं नौकरियां छिनने के सवाल पर निर्मला सीतारमन ने कहा कि ज्यादातर जॉब्स असंगठित क्षेत्र में होती हैं और उनका डेटा नहीं है । बैंकों के विलय पर उन्होंने एसबीआई का अन्य बैंकों के साथ विलय का हवाला दिया और कहा कि कर्मचारियों की कोई छंटनी नहीं होगी । नौकरियां जाने की खबरों पर उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में अधिकतर नौकरियां अनौपचारिक क्षेत्र में पैदा होती हैं, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं होता है । उन्होंने कहा कि बजट के दौरान लिए गए कई सारे फैसलों के परिणाम दिखने लगे हैं । अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के कारण वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना जारी रखेगी, लेकिन अन्य वाहनों की कीमत पर नहीं । उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (़स्ञ्ज) में कटौती करने से संबंधित फैसला जीएसटी काउंसिल लेगा । पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान पर वित्त मंत्री ने कहा, क्या डॉ. मनमोहन सिंह कह रहे हैं कि राजनीतिक प्रतिशोध की भावना में लिप्त होने के बजाय समझदार लोगों से बातचीत कर रास्ता निकालना चाहिए? क्या उन्होंने ऐसा कहा है? ठीक है, आपका धन्यवाद, मैं इसपर उनका बयान लूंगी । यही मेरा जवाब है । बता दें कि मनमोहन सिंह ने आर्थिक विकास दर के चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में छह साल के निचले स्तर पांच फीसदी पर पहुंचने पर कहा था, भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार गिरावट की राह को झेल नहीं पाएगी । इसलिए, मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह राजनीतिक प्रतिशोध की भावना को किनारे रखे और समझदार लोगों से बातचीत कर अर्थव्यवस्था को उबारे जो पैदा किए हुए संकट में फंस गई है ।