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जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक को मंजूरी मिली

लोकसभा ने शुक्रवार को जलियांवाला बाग नैशनल मेमोरियल (अमेंडमेंट) बिल, २०१९ यानी जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी । इस बिल में ट्रस्टियों में से कांग्रेस अध्यक्ष के नाम को हटाने और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ट्रस्टी बनाने का प्रावधान शामिल किया गया है । विधेयक पर विरोध दर्ज कराते हुए कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया । जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम, १९५१ में संशोधन के लिए लाए गए विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि जलियांवाला बाग एक राष्ट्रीय स्मारक है और घटना के १०० साल पूरे होने के अवसर पर हम इस स्मारक को राजनीति से मुक्त करना चाहते हैं । मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी प्रदान की । इससे पहले सदन ने विधेयक पर विचार करने के प्रस्ताव को ३० के मुकाबले २१४ मतों से स्वीकृति प्रदान की । विधेयक पारित होने के दौरान कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया । पटेल ने कहा कि यह राष्ट्रीय स्मारक है और यह राजनीतिक दल का स्मारक मात्र नहीं हो सकता ।
उन्होंने सरकार पर इतिहास बदलने के कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इतिहास को कोई नहीं बदल सकता । आज हम इतिहास बदल नहीं रहे, बल्कि जलियांवाला बाग स्मारक को राजनीति से मुक्त कर राष्ट्रीय स्मारक बनाकर इतिहास रच रहे हैं । पटेल ने कहा कि स्मारक की स्थापना के समय जवाहरलाल नेहरू, सैफुद्दीन किचलू और अबुल कलाम आजाद इसके स्थायी ट्रस्टी थे और इनके निधन के कई साल बाद भी कांग्रेस को स्थायी ट्रस्टियों के पद भरने की याद नहीं आई । उन्होंने कहा कि यह विवाद का विषय नहीं है । कांग्रेस को स्मारक के इतिहास की इतनी चिंता है तो उसने स्मारक के ट्रस्टी में सरदार उधम सिंह के परिवार के किसी सदस्य को क्यों नहीं शामिल किया? पटेल ने कहा कि कांग्रेस का दावा है कि स्मारक के लिए कांग्रेस ने जमीन खरीदने को पैसा दिया । उन्होंने कहा कि सबसे पहले पैसा इकट्ठा करने की शुरुआत आम आदमी ने की थी और आम आदमी ने ही शहादत दी थी । कांग्रेस ने बाद में पैसा दिया । उन्होंने कहा कि देश में ऐसे कई स्मारक हैं जिन्हें चिह्नित किया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि संस्कृति, इतिहास को पुनः लिखा नहीं जा सकता लेकिन उसका पुनः निरीक्षण होना चाहिए । पटेल ने कहा कि कांग्रेस के लिए यह केवल ट्रस्ट, स्मारक हो सकता है, लेकिन हम जानते हैं कि यह हमारे बलिदानी पुरखों के खून का यादगार स्थल है ।

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