अमेरिका तथा चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर के दौरान भारत एकमात्र एशियाई देश है, जिसकी वैश्विक निर्यात में हिस्सेदारी बढ़ी है । ब्लूमबर्ग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष २०१७ की चौथी तिमाही में वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी १.५८÷ रही थी, जबकि वित्त वर्ष २०१९ में यह आंकड़ा बढ़कर १.७१÷ रहा । इस अवधि में एशिया के १० सबसे बड़े निर्यातक देशों की वैश्विक निर्यात में हिस्सेदारी घटी है । हाल में अपने एक इंटरव्यू में भारतीय रिजर्व बैंक (क्रक्चढ्ढ) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बात की जानकारी दी थी । दास ने कहा कि निर्यात के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन का एक बड़ा कारण यह है कि भारतीय अर्थव्यस्था वैश्विक विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला से अपने पड़ोसियों की तरह पूरी तरह जुड़ी हुई हुई नहीं है, जिसके कारण निर्यातकों को क्षेत्र में ट्रेड वॉर की स्थिति में फायदा मिलता है । दास ने कहा, भारत ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा नहीं है । इसलिए, अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर का भारत पर उतना असर नहीं पड़ता है, जितना अन्य देशों पर पड़ता है । दक्षिण कोरिया तथा जापान के माल का सबसे बड़ा खरीदार चीन है, जिसकी वैश्विक निर्यात में हिस्सेदारी अन्य एशियाई देशों की तुलना में सबसे ज्यादा घटी है । भारत के लिए अमेरिका तथा संयुक्त अरब अमीरात के बाद चीन तीसरा सबसे बड़ा बाजार है । दिल्ली स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा, हमारे लिए सबसे फायदे की बात यह है कि हमारा प्रॉडक्ट बास्केट और मार्केट बास्केट दोनों ही पूरी तरह डायवर्सिफाइड हैं । फेडरेशन ऑफ एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के एमडी तथा सीईओ अजय साह के मुताबिक, अमेरिका तथा चीन के बीच ट्रेड वॉर ने दोनों ही देशों में निर्यात बढ़ाने का अवसर प्रदान किया है । भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात बीते छह सालों की तुलना में मार्च २०१८ में समाप्त हुए वित्त वर्ष में सबसे तेज गति से बढ़ा है । वहीं, पिछले वित्त वर्ष में भारत द्वारा चीन को निर्यात में ३१÷ की बढ़ोतरी हुई है, जो बीते एक दशक की तुलना में सबसे तेज रफ्तार है ।
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