मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके) के महासचिव और राज्यसभा सांसद वायको ने फिर से हिंदी बनाम अन्य भारतीय भाषाओं का विवाद छेड़ दिया । २३ साल बाद राज्यसभा पहुंचे वायको ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत ज्यादातर सदस्यों के हिंदी में संबोधन पर आपत्ति प्रकट की । वायको यहीं नहीं रुके, उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी के कारण भी संसद में बहस का स्तर नीचे चला गया है । उनके विचार में प्रधानमंत्री का सिर्फ हिंदी में संबोधन के पीछे हिंदी, हिंदू, हिंदू राष्ट्र की प्रेरणा है । वायको ने कहा, आज हिंदी की वजह से (संसद में) बहस का स्तर गिर गया है । वे सिर्फ हिंदी में चिल्लाते हैं । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी हिंदी में ही संसद को संबोधित करते हैं । उन्होंने पीएम मोदी पर कड़े प्रहार के लिए उनकी तुलना प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से की और कहा कि नेहरू संसद के हर सत्र में भाग लेते थे जबकि मोदी सदन में मौजूद होते हैं । वायको ने आगे कहा, वाजपेयी अंग्रेजी बोला करते थे । मोरारजी देसाई भी संसद में इंग्लिश बोलते थे । आप यह नहीं कह सकते कि वे हिंदी के मुरीद नहीं थे । इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरिसिम्हा राव और मनमोहन सिंह भी सदन को अंग्रेजी में संबोधित करते थे । उन्होंने कहा कि सिर्फ मोदी ही बार-बार हिंदी के प्रति प्यार जताते रहते हैं । उनकी नजर में हिंदी बोलने के पीछे प्रधानमंत्री की भावना हिंदी, हिंदू, हिंदू राष्ट्र की है । एमडीएमके महासचिव ने कहा कि जब तक संसद में संविधान की मान्यता प्राप्त सभी २८ भाषाओं में बातचीत शुरू नहीं हो जाती, तब तक सिर्फ अंग्रेजी में ही बातचीत होनी चाहिए ।