दुनिया में तेजी से आगे बढ रहा भारत अब अंतरिक्ष में भी छलांग लगाने की तैयारी में है। 15 जुलाइ को भारत की इसरो विज्ञानी संस्था द्वारा चंद्रयान-2 मिशन लांच होने जा रहा है। भारतने इससे पहले चंद्रयान-1 चांद पर भेजा था लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। करीब 10 साल के बाद फिर एक बार इसरो के राकेट से चंद्रयान इन्सान की धरती पृथ्वी से पडोशी चांद की सतह पर उतरने के लिये बेताब है। इस बार इसरो चंद्रयान को चांद की उस जगह पर उतारेंगा जो अंधेरे में रहता है। जहां कभी कीसीने अपना यान उतारने की कोशिश नहीं की ऐसा कुछ इसरो नये भारत में करने जा रहा है। जाहिर है की जब ये यान अंतरिक्ष में पहुंचेगा हरकोई इसरों को, बधाइ हो…बधाइ हो…कहेंगे। लेकिन इस मिशन की बागडोर इसरो की दो महिला विज्ञानीओं के हाथ में है…! जिनके नाम है रितु करीधाल और एम. वनिताजी. इन दो महिलाओं को मिशन चंद्रयान-2 की जिम्मेवारी दी गइ है। यह मिशन इस बात का पता लगायेंगा की चंद्र की धरत पर पानी है या नही… यदि है तो कहां और कितना और उसके आधार पर इन्सान यह तय करेंगा की चांद पर पृथ्वीवासीओं की बस्तीयां बनेंगी या नहीं….! यानी ये दो महिला तय करेंगी की इन्सान चांद पर रह सकता है या नहीं….!
मिशन चंद्रयान-2 करीब एक हजार करोड की लागत का है। भारत को अमरिका या अन्य स्पेस कन्ट्री की बरोबरी करनी हो तो मिशन चंद्रयान और मिशन गगनयान पर ध्यान देना होगा। चांद के बाद मिशन मंगल के लिये गगनयान चलेगा 2022 में भारत से। एक समय था की भारत को रोकेट उडाने के लिये क्रायेजेनिक इंजन टेकनोलोजी कोइ देने को तैयार नहीं था। आज दुनिया का हर कोइ देश भारत को अंतरिक्ष संसोधन के लिये मदद कर रहा है। भारत का, कहो की मान सन्मान बढा है। और क्यों न बढे…. भारत ने ही तो दुनिया को गिनती सिखाइ और शून्य की भेट दी तब दसमलव आया। जब जिरो दिया मेरे भारतने तब दुनिया को गिनती आइ….यही कहा है न मि. भारत मनोजकुमारने अपनी एक फिल्म में…!
इन्सान सदियों से चांद पर बसना चाहता है। वहां कालोनीयां बनाना चाहता है। चांद पर घूमना-दौडना चाहता है। इसके लिये रिसर्च भी चल रहे है जिसमें भारत और इसरो का भी काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारत द्वारा कइ सेटेलाइट अंतरिक्ष में छोडे गये जिसकी बदौलत भारत के नागरिकों को सुविधा मिल रही है। चंद्रयान-2 सफल होता है तो भारत का रोवर चांद की धरती पर उतर कर सैर करेंगा और पानी के तत्व का पता लगायेंगा। ये सारे मिशन को दो महिलायें संभालेंगी….! ये महिला शक्ति को सलाम करने जैसी बात है। संसद में महिला आरक्षण के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून भले ना बने लेकिन इन महिलायों को यान-2 की बागडोर सौंप कर इसरोने एक मिशाल कायम की है। इसरो ऐसे प्रयोग जारी रखें ताकी देश की महिलायें उनसे प्रेरणा ले शके और वे भी उनकी तरह विज्ञान तथा खास कर अंतरिक्ष विज्ञान में पढाइ करने के लिये प्रेरित हो। नये भारत में इसरो की यह पहली उडान चलने को तैयार है। यान को उसी रंग में रखे जैसा होता है या है। क्रिकेट के खिलाडीयों का प्रयोग चंद्रयान में ना हो तो ही अच्छा है वरना मेहबुबा जैसे केसरी की पूर्व साथी ताना मारने को तैयार ही है की रंग बदला इसलिये भारत मेच हारे और अब राकेट भी….! इसरो ऐसी बातों में न आये और दो महिलायें चंद्रयान को अपने कोमल हाथों से उसकी सतह पर हौले से उतारे और पूरे भारत को कहे—आओ…तुम्हे चांद पर ले जाये…! मिशन चंद्रयान-2 की सफलता की भारतकी ओर से शुभकामनायें…!